नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने पर जोर देते हुए आज कहा कि जितनी हम इसमें सफलता हासिल करेंगे उतनी ही अधिक हमारी अर्थव्यवस्था खुलेगी और रोजगार के अवसर बढेंगे।
कोरोना महामारी के कारण देश भर में लागू पूर्णबंदी के पांचवें चरण में दी गई रियायतों और छूट के बाद लोगों के काम धंधों के लिए घरों से बाहर आने के साथ ही देश भर में संक्रमण के मामलों में तेजी के बीच 21 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से संवाद के पहले चरण में मोदी ने यह बात कही।
कोरोना महामारी के बाद मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ यह छठी बैठक है। बैठक शुरू होने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्रियों के सामने अपनी बात रखी और स्थिति से निपटने तथा अर्थव्यवस्था को आगे बढाने के बारे में सुझाव देने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश खुल चुका है और लोगों की मेहनत से जीवन पटरी पर लौट रहा है लेकिन हमें अत्यंत अधिक सर्तक रहने की जरूरत है क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही हमारी पिछले दो तीन महीनों की तपस्या और मेहनत पर पानी फेर सकती है। उन्होंने कहा कि अनलॉक वन का सबसे बड़ा सबक यही है कि यदि हम नियम और अनुशासन का पालन करेंगे ताक कोरोना संकट से कम से कम नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि चेहरे पर मास्क और दो गज की दूरी के नियम का सख्ती से पालन करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना है कि हम कोरोना को जितना रोक पाएंगे, उसका बढ़ना जितना रोक पाएंगे, उतना ही हमारी अर्थव्यवस्था खुलेगी, हमारे दफ्तर खुलेंगे, मार्केट खुलेंगे, ट्रांसपोर्ट के साधन खुलेंगे, और उतने ही रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।
मोदी ने कहा कि भविष्य में जब कभी भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई का अध्ययन होगा, तो ये दौर इसलिए भी याद किया जाएगा कि कैसे इस दौरान हमने साथ मिलकर काम किया और सहकारी संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण पेश किया।
उन्होंने कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े विशेषज्ञ, स्वास्थ्य के जानकार, लॉकडाउन और भारत के लोगों द्वारा दिखाए गए अनुशासन की आज चर्चा कर रहे हैं। आज भारत में रिकवरी रेट 50 प्रतिशत से ऊपर है। आज भारत दुनिया के उन देशों में अग्रणी है जहां कोरोना संक्रमित मरीज़ों का जीवन बच रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत उन देशों में शामिल हैं जहां सबसे कम मृत्यु दर है। इससे आत्मविश्वास पैदा होता है कि देश नुकसान कम करके आगे बढ सकता है। मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि हमारे यहां जो छोटी फैक्ट्री हैं उन्हें मार्ग दर्शन की, हैंड होल्डिंग की बड़ी जरूरत है।
मुझे पता है आपके नेतृत्व में इस दिशा में काफी काम हो रहा है। व्यापर और उद्योग अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ सकें, इसके लिए वेल्यु चेन पर भी हमें मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि किसान के उत्पाद की मार्केटिंग के क्षेत्र में हाल में जो सुधार किए गए हैं, उससे भी किसानों को बहुत लाभ होगा।
इससे उन्हें अपनी उपज बेचने के लिए नए विकल्प उपलब्ध होंगे, उनकी आय बढ़ेगी और स्टोरेज के अभाव के कारण उनको जो नुकसान होता था, उसे भी कम किया जा सकेगा। इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड रणनीति की घोषणा की गई है, उसका भी लाभ हर राज्य को होगा। इसके लिए ज़रूरी है कि हम हर ब्लॉक, हर जिले में ऐसे उत्पादों की पहचान करें, जिनके प्रसंस्करण और विपणन से एक बेहतर उत्पाद देश और दुनिया के बाज़ार में उतारा जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के बाद सभी मुख्यमंत्रियों से मौजूदा स्थिति में अपने सुझाव देने को कहा। आज जिन राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ मोदी संवाद कर रहे हैं उनमें पंजाब, असम, केरल, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ, गोवा, मणिपुर, नगालैंड, लद्दाख, पुड्डचेरि, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, अंडमान निकोबार द्वीप, दादर नागर हवेली और दमन दीव, सिक्किम और लक्षद्वीप शामिल हैं।
बुधवार को वह महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, बिहार , आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, तेलंगाना और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पूर्णबंदी का चौथा चरण 17 मई को समाप्त होने के साथ देश भर में पाबंदियों को हटाने के लिए अनलॉक वन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके बाद से देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ रहे हैं। देश में पूर्णबंदी का पहला चरण 25 मार्च से शुरू हुआ था। कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद से मोदी पांच बार मुख्यमंत्रियों के साथ 20 मार्च, 2, 11 और 27 अप्रैल और 11 मई को बैठक कर चुके हैं।