अजमेर। कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत राजस्थान में किसी दूसरे जिले से अजमेर आने वाले नागरिक को भी स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवेश मिलेगा। जिले की सीमाओं पर चैक पोस्ट स्थापित कर वहां चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात की जा रही है।
कलक्टर विश्वमोहन शर्मा ने इस संबंध में ब्यावर, किशनगढ, केकड़ी, मसूदा एवं रूपनगढ के उपखण्ड अधिकारियों को स्क्रीनिंग व चैक पोस्ट के आदेशों की सख्ती से पालना कराने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए पूरी जिला प्रशासन एवं पुलिस की टीम दिन रात काम कर रही है। अब हमारी सबसे बड़ी चुनौती बाहर से आने वाले लोगों की निगरानी और उनका रिकॉर्ड अपडेट रखना है।
उन्होंने सभी सीमावर्ती उपखण्डों में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सीमा पर चैक पोस्ट के जरिए जिले में आने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखा जाए। इन चैक पोस्ट पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात की गई। यह टीम अन्य जिले से अजमेर में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग करेगी।
वर्तमान में राज्य सरकार ने राजस्थान में एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए पास की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। ऎसे में बड़ी संख्या में आमजन आ जा सकते हैं। कोरोना महामारी से बचाव के लिए बाहर से आने प्रत्येक व्यक्ति का रिकॉर्ड होना जरूरी है।
पैदल चलने वाले श्रमिकों के लिए शेल्टर होम में होगी व्यवस्थाएं
विभिन्न राज्यों से अपने घरों की तरफ पैदल ही जा रहे श्रमिकों के ठहरने, खाने-पीने एवं चिकित्सा की समुचित व्यवस्था की जाएगी। इस बाबत कलक्टर विश्व मोहन शर्मा ने सभी उपखण्ड अधिकारियों को केकडी, किशनगढ एवं ब्यावर में शेल्टर होम में इन सभी के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
कलक्टर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट निर्देश दिए है कि विभिन्न राज्यों से अपने गृह राज्यों की ओर पैदल जाने वाले श्रमिकों को राजस्थान में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
अजमेर जिले में कई प्रवासी मजदूर विभिन्न राज्यों से चलकर पैदल ही अपने गृह राज्य जा रहे हैं। जिले में ज्यादातर जयपुर, कोटा एवं उदयपुर की ओर से ऎसे श्रमिकों का प्रवेश हो रहा है। इन स्थानों पर किशनगढ, केकडी एवं ब्यावर उपखण्डों का हिस्सा पडता है।
ऎसे उपखण्डों में अधिकारी शेल्टर होम में श्रमिकाें के ठहरने, खाने पीने एवं चिकित्सा की व्यवस्था करे। इन सभी को विभिन्न परिवहन माध्यमों से इनके गृह राज्यों के लिए भेजा जाए। इसके साथ ही अन्य उपखण्डों में भी जहां पैदल चलते प्रवासी श्रमिक दिखाई दे वहां संबंधित क्षेत्र के उपखण्ड अधिकारी श्रमिकों के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे।