चीन। लगभग एक माह से चीन समेत दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस का खौफ व्याप्त है। चीन के हुबेई प्रांत के शहर वुहान से कोरोना वायरस उड़कर लगभग 25 देशों में पहुंच चुका है। अब तक चीन में ही इस खतरनाक वायरस है तीन साै से भी अधिक मौतें हो चुकी है। वहीं लगभग 20 हजार के आसपास लोग इसकी गिरफ्त में है। चीन कोरोना वायरस से घबराया नहीं बल्कि मजबूती के साथ डटा हुआ है।
चीन की सरकार ने कोरोना वायरस के मरीजों के लिए चंद दिनों में ही एक ‘1000 बेड’ का अस्पताल बनाकर दुनिया को यह जता दिया है कि जनहित में त्वरित विकास कार्य इसे कहते हैं। भारत समेत आज भी कई देश ऐसे हैं कि विकास कार्य को लेकर लंबे समय तक खाका ही खींचते रहते हैं, जनता को वास्तविक मूलभूत सुविधाएं पहुंचने में काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है।
दुनिया ने चीन के त्वरित गति से अस्पताल बनाने पर प्रशंसा की
महज सात दिनों में बनाए गए अस्पताल को लेकर दुनिया के तमाम देश चीन के इस साहसिक कदम की प्रशंसा कर रहे हैं। इसके साथ चीन ने यह भी संदेश दिया है कि उसे अपने देश के नागरिकों से कितना लगाव है। कोरोना वायरस से लगातार बढ़ रही मौतों से चीन परेशान तो है लेकिन हिम्मत नहीं हारा है। हमारा देश भी चीन से इस ‘त्वरित विकास मॉडल’ से जरूर कुछ सीख सकता है।
कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में चिंता हो रही है। अस्पताल बनाने में इतना चीन की सरकार और प्रशासन का हाथ है उतने ही वहां की जनता का भी है। इस अस्पताल को बनाने के लिए वहां के मजदूरों ने अपनी छुट्टी को भी दरकिनार कर दिन रात लगे हुए थे।
कल से इस अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों की इलाज शुरू हो जाएगा
कोरोना वायरस को लेकर कई दिनों से पूरे चीन में अलर्ट घोषित कर दिया गया है, टीमें इसकी रोकथाम के लिए लगी हुई हैं। चीन प्रशासन ने एक सप्ताह में कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए 1000 बेड के अस्पताल का निर्माण कर लिया है। यह अस्पताल 4 फरवरी यानी कल से मरीजों का इलाज करना शुरू कर देगा। शनिवार की रात शहर के कैडियन जिले में जमीन के एक टुकड़े पर इसके लिए काम शुरू कर दिया गया।
इस जमीन पर ट्रक और खुदाई करने वाले उपकरण जमा करके काम शुरू कर दिया गया है, 200 से अधिक लोग यहां पूरे जोश के साथ काम करने में लग गए थे। जो अब पूरा हो चुका है, ये अपने आप में एक कमाल है कि कोई देश इतने कम समय में इतना बड़ा अस्पताल बना दे। यह पूरा अस्पताल करीब 269,000 वर्ग फीट इलाके में बनाया गया है। इसके अंदर चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 1400 चिकित्साकर्मी भी काम कर रहे हैं।
इस अस्पताल की कमान चीन की सेना के पास है
अस्पताल का नाम ‘फायर गॉड माउंटेन’ रखा गया है। इसकी कमान चीनी सेना के पास हैं, इस अस्पताल का पूरा प्रबंधन चीन की सेना ही देखेगी। इस अस्पताल में दवाइयां, मेडिकल इक्विपमेंट्स, मास्क आदि जो भी जरूरतें होंगी वह सीधे फैक्ट्रियों से मंगाई जा सकेंगी। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को अधिकार दिए गए हैं ताकि वह इन चीजों के लिए फैक्ट्रियों को सीधे खरीद-फरोख्त का आदेश दे सके। सबसे अच्छी बात ये हैं कि इस अस्पताल में काम करने वाले 60 फीसदी चिकित्साकर्मी वो हैं जिन्होंने 2003 में ‘सार्स’ से लड़ने में चीन की मदद की थी।
यहां हम आपको बता दें कि वर्ष 2003 में सार्स वायरस नामक बीमारी भी फैली, इसमें भी लगभग 700 मौतें हुई थी। उस समय चीन ने इस बीमारी को दुनिया भर में कई दिनों तक छुपाए रखा था। लेकिन अब चीन ने कोरोना वायरस को लेकर ऐसी गलती नहीं की।
चीन के वुहान शहर में अभी भी हालात बदतर है
चीन के हुबेई प्रांत के औद्योगिक शहर वुहान में अभी भी कर्फ्यू जैसे हालात हैं। चीन की सरकार ने इस शहर को पूरी तरह से बंद कर रखा है। यहां हम आपको बता दें कि कोरोना वायरस का सबसे बड़ा हमला इसी शहर में हुआ है। वुहान शहर अभी पूरी तरह से बंद है, सड़कें खाली हैं। सरकारी दफ्तर, कॉलेज, स्कूल सब बंद चल रहे हैं। 1.10 करोड़ की आबादी वाले इस शहर में ही कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हैं, यहीं सबसे ज्यादा मौतें भी हुई हैं। वुहान में इससे पहले दो अस्थाई मेडिकल फैसेलिटी बनाई गई, जहां हजारों लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार