नई दिल्ली। अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन का कार्यक्रम अप्रेल के अंत में आयोजित करने की याेजना है लेकिन यह कोरोना विषाणु के प्रकोप के नियंत्रण की स्थिति पर निर्भर करेगी और आवश्यक हुआ तो भूमिपूजन की तिथि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी तैयारी है कि अप्रेल के अंत में मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम आयोजित किया जाए लेकिन आज देश में जो रोग फैला है, उस पर नियंत्रण कैसा है, कार्यक्रम का आयोजन इस पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते हैं। समाज और जनसामान्य का जीवन भी बहुत महत्वपूर्ण है।
भूमिपूजन के कार्यक्रम के बारे में राय ने बताया कि अप्रेल के आखिर में इसका आयोजन करने की योजना है। भूमिपूजन के कार्यक्रम में 500 से एक हजार लोग भी शामिल होंगे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के भी मौजूद रहने की संभावना है। लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय आठ दस दिन पहले कोरोना महामारी की स्थिति को ध्यान में रख कर लिया जाएगा।
राय ने बताया कि नवसंवत्सर के मौके पर भगवान रामलला के आसन बदलने के दौरान भी अधिक लोग उपस्थित नहीं रहेंगे। केवल 25 से 50 लोग उपस्थित होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो जो सावधानियां बतायीं हैं, उनका पालन किया जाएगा। हम इस मामले में सरकार के सहयोगी बनेंगे। ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे जिससे महामारी बढ़े।
मंदिर निर्माण की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसके प्रथम चरण में तंबू में विराजमान रामलला की प्रतिमा को 25 मार्च को नवसंवत्सर को सुबह चार बजे बह्मवेला में नए अस्थायी मंदिर में विराजित किया जाएगा। नए स्थान पर दर्शन करने में श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा होगी। उन्हें भगवान के विग्रह के दर्शन के लिए कम चलना पड़ेगा और 25 – 26 फुट की दूरी से दर्शन हो सकेंगे।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग श्रद्धालु व्हीलचेयर से भी दर्शन कर सकेंगे। आम तौर पर दर्शन के लिए अधिकतम 15 मिनट का समय लगेगा। वे अब अधिक क्षण ठहर कर इत्मीनान से दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि दर्शनार्थियों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी लेकिन अब सुरक्षाबल चार स्थानों की बजाय केवल तीन स्थानों पर उनकी तलाशी लेंगे।
उन्होंने बताया कि आसन बदलने के लिए दो दिन पहले से ब्राह्मणों के एक समूह वर्तमान तंबू वाले मंदिर में भगवान को प्रसन्न करने का अनुष्ठान करेगा और दूसरा समूह नए स्थान पर देवताओं का आह्वान करके स्थान जागृत करेंगे। प्रतिपदा की तिथि 24 तारीख को दोपहर से शुरू हो जाएगी और 25 तारीख की दोपहर तक रहेगी। इसी बीच 25 तारीख को ब्रह्म वेला में भगवान का आसन बदला जाएगा। श्रद्धालु उसी दिन से भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
एक सवाल के जवाब में राय ने कहा कि प्रशासन को अयोध्या में रामनवमी के मौके पर इस साल 15 से 20 लाख लोगों के आने की उम्मीद है। लोगों का आना-जाना 31 मार्च से तीन अप्रेल तक लगा रहेगा।