जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने वैश्विक महामारी कोरोना के चलते आमेर महल में हाथी सवारी एवं हाथी गांव बंद होने के कारण आजीविका का संकट झेल रहे हाथी पालकों को आर्थिक सहायता देने की राज्य सरकार से मांग की है। डा पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बारे में पत्र लिखा है।
उन्होंने पत्र में कहा कि कोरोना वायरस से बचाव एवं रोकथाम के लिए प्रदेश में लागू की गई पाबंदियों के कारण गत 17 अप्रैल से विश्व विख्यात आमेर महल एवं हाथी गांव में हाथी सवारी बंद है, जिससे हाथी पालकों के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है।
हाथी के खान-पान, दवाइयों, रख-रखाव एवं हाथी पालकों के गुजर-बसर के लिए प्रति मादा हाथी पर प्रतिदिन तीन हजार रुपए का खर्चा आता है और तकरीबन 13 माह से बंद हाथी सवारी से हाथी पालकों की आर्थिक स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गई है। हाथी सवारी बन्द होने से हाथी पालकों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है और इन हाथी पालकों को अपने परिवार को पालना अत्यन्त मुश्किल हो रहा है।
डॉ. पूनियां ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जयपुर के हाथी पालकों एवं हाथियों के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाए ताकि इस वैश्विक महामारी की वर्तमान परिस्थितियों में इन्हें राहत पहुंचाई जा सके। उल्लेखनीय है कि हाथी पालकों की समस्या को राज्य सरकार के समक्ष उठाने के संबंध में हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष शफीक खान ने डॉ. पूनियां को पत्र लिखा है।
माता-पिता खो चुके बच्चों की सुध ले राज्य सरकार
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने वैश्विक महामारी कोरोना की प्रथम एवं द्वितीय लहर में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों, बेसहारा बुजुर्गों और उनके परिवार को मुफ्त राशन, शिक्षा, चिकित्सा सुविधा एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने का राज्य सरकार से आग्रह किया है।
डा पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर यह आग्रह किया। उन्होंने पत्र में अनुरोध किया कि कोरोना देश-प्रदेश में कई परिवारों पर कहर बनकर टूटा है। प्रदेश में कई परिवारों के एकमात्र कमाने वालों की मौत हुई है, वहीं कई बच्चों ने भी बीते दिनों अपने माता-पिता को खो दिया है, जिसके कारण उनके समक्ष जीवनयापन का विकट संकट खड़ा हो गया है। कई बुजुर्गों ने जवान बच्चों को खो दिया है, अब उनका घर चलाने वाला कोई नहीं है, इस घातक संक्रमण ने कई बुजुर्ग लोगों के बुढ़ापे के सहारे को छीन लिया है।
डॉ. पूनियां ने आग्रह किया कि राज्य के ऐसे दुखी परिवारों, अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों, बुजुर्ग लोगों को बेसहारा नहीं छोड़ना चाहिए, उनका सहारा प्रदेश की सरकार को बनना चाहिये। ऐसे परिवारों, बच्चों एवं बुजुर्गों को चिह्नित करवाकर उन्हें और उनके परिवार को तत्काल मुफ्त राशन, शिक्षा, चिकित्सा सुविधा एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे इस कठिन समय में इनको राहत पहुंचाई जा सके।