नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद ने कोविड 19 की वैश्विक महामारी के बीच पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए उनके जीवन की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और भारत सरकार से हस्तक्षेप की आज अपील की।
विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिन्द परांडे ने यहां एक बयान में कहा कि वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का महाप्रकोप है। सभी देशों में इसे पराजित करने हेतु युद्ध स्तर पर सामूहिक प्रयास हो रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान में ऐसी वीभत्स परिस्थितियों में भी वहां के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ धार्मिक भेदभाव हो रहा है।
हिंदुओं को ना सिर्फ भोजन एवं स्वास्थ्य जैसी जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं से भी वंचित रखा जा रहा है बल्कि इसके बदले उन पर धर्म परिवर्तन के लिए अनुचित एवं अमानवीय दबाव भी डाला जा रहा है। मीडिया में आई अनेक रिपोर्टों से यह बात जगजाहिर है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हिन्दू आज मात्र डेढ़-दो प्रतिशत ही बचा है तो भी कोरोना जैसी महामारी के समय में भी उसे प्राथमिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर भारत के प्रधानमंत्री सम्पूर्ण विश्व की चिंता कर रहे हैं तो वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री वहां के अपने अल्पसंख्यकों को भोजन एवं स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को भी सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं।
यह ज्ञात हुआ है कि भीषण परिस्थितियों का अनुचित लाभ उठाकर भोजन के बदले में हिन्दुओं पर धर्मांतरण के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है। यह उनके मानवाधिकारों का गम्भीर उल्लंघन है।
विहिप नेता ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से मांग की है कि वह पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर हो रहे धार्मिक भेदभाव तथा उत्पीड़न का संज्ञान ले तथा इसमें हस्तक्षेप कर उन्हें तुरंत भोजन एवं स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित कराए। उन्होंने भारत सरकार से भी अपील की कि वह भी इस सम्बन्ध में पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बना इस्लामिक जिहादियों के अत्याचारों से किसी तरह बचे-खुचे हिन्दुओं की प्राण रक्षा के प्रयास करे।