सबगुरु न्यूज-सिरोही। पूर्ववर्ती शासन में नगर परिषद में ऐसे कार्मिक थे जिनके रहते हुए अनियमितताओं और अनदेखी की बाढ़ सी आ गई थी।
उसके बाद के अधिकारियों के समय में भी यही हाल रहा था। नगर परिषद में सफाई व्यवस्था में जबरदस्त अनदेखी हो रही है, ये कांग्रेस के पाार्षद भी मानने लगे हैं। एक प्रमुख पार्षद का तो यह कहना था कि कार्मिक सुनते नहीं हैं। तो सवाल ये है कि जब भाजपा में राज में ऐसे अधिकारियों को लाने का आरोप राज्य की सत्ता में उस समय भागीदार नेता पर लगता था तो आज इस तरह के अधिकारियों या कार्मिकों को सिरोही नगर परिषद में ला कौन रहा है?
काम नहीं तो डंपिंग का मतलब क्या?
जिन प्रतिनिधियों को सिरोहीवासियों ने उनके काम करने के लिए नगर परिषद में भेजा उनकी यदि अधिकारी सुन नहीं रहे हैं तो ऐसे अधिकारियों और कार्मिकों को यहां टिकाया हुआ कौन है? हाल ही में सिरोही विधायक ने जिला यातायात समिति की बैठक में विवेकानंद स्कूल के पुराने भवन वाले स्थान पर पार्किंग बनवाने के मामले में नगर परिषद आयुक्त की तरफ मुखातिब होते हुए कहा था कि सौ कर्मचारी हो जयपुर जाकर ये काम नहीं करवा सकते।
जब ये अधिकारी और कर्मचारी काम नहीं कर पा रहे हैं तो सिरोही नगर परिषद को ऐसे कार्मिकों का डंपिंग यार्ड बनाने का उद्देश्य समझ से परे हैं। ऐसा पद भी भरा हुआ है, जो कार्यालय में एक पूरा कमरा घेरा हुआ है, लेकिन दिनभर में नगर परिषद के कामों में उनका योगदान घर से कार्यालय और कार्यालय के घर जाने के अलावा कुछ नहीं होता।
सिर्फ रिटायर होने के लिए कार्मिकों को यहां पर लाकर बैठा देना सिरोही के साथ किसी अन्याय से कम नहीं है। ये हाल उस सिरोही के हैं जहां करीब सात साल पहले ही सिरोही को अधिकारियों को डस्टबिन कहने पर भयंकर विवाद हुआ था।
आयुक्त को आया था लकवा, उस काम को मार गया लकवा
सिरोही नगर परिषद के बाहर 8 जनवरी 2018 को कांग्रेस का धरना हुआ था। उस समय तत्कालीन कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा का करीब 36 मिनट का ओजस्वी भाषण हुआ था। भाषण के बाद तत्कालीन आयुक्त प्रहलाद राय वर्मा धरना स्थल पर बात करने आए तो बात के दौरान उन्हें लकवा मार गया था। लेकिन, स्ट्रोक से पहले उनसे जो बात हुई थी उसमें प्रमुख थी कि नगर परिषद में लगाई गई आरटीआई का सही समय पर जवाब देंगे।
लेकिन, आज तीन साल बाद कांग्रेस के बोर्ड में नगर परिषद प्रशासन कांग्रेस की महत्वाकांक्षी कानून को लकवा मरवा कर बैठी है। आज भी सिरोही नगर परिषद में सूचना के अधिकार के तहत लगाई गई अर्जियों के निस्तारण के वही हाल हैं जो पूर्ववर्ती भाजपा बोर्ड में थे। फिर वो आरटीआई सफाई व्यवस्था संबंधित है तो परिषद प्रशासन को कान और आंख में फालिज मार जाता है। सबसे बड़ी बात जब ये चर्चा चल रही थी तो वर्तमान सभापति और उपसभापति भी वहीं थे। इसके बाद भी ये हाल हैं।