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देश को नेता की नहीं नीतियों की जरूरत है : सीताराम येचुरी
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देश को नेता की नहीं नीतियों की जरूरत है : सीताराम येचुरी

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देश को नेता की नहीं नीतियों की जरूरत है : सीताराम येचुरी
Country needs no leader's policies: Sitaram Yechury
Country needs no leader's policies: Sitaram Yechury
Country needs no leader’s policies: Sitaram Yechury

चंडीगढ़ । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने आज कहा कि आज के हालात में देश को नेता की नहीं नीतियों की जरूरत है।

येचुरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में 2019 के लोकसभा चुनावों के संदर्भ में विकल्प और विपक्षी एकता के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि विपक्ष में कई तरह के विरोधाभास हैं लेकिन इसके बावजूद विकल्प निकलेगा। श्री येचुरी ने कहा कि गठबंधन सरकारों का इतिहास है कि गठबंधन चुनाव के बाद ही होते हैं। चुनावों से पहले तालमेल हो सकता है, होता है या नहीं भी हो सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 2004 के चुनाव में वाम दलों के 61 सांसदों में से 57 कांग्रेस प्रत्याशियों को हराकर संसद में आये थे लेकिन वाम दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को समर्थन दिया थ।

माकपा नेता ने कहा कि माकपा की कोशिश है कि सभी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रहे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाए हालांकि पश्चिम बंगाल और केरल में यह नहीं होगा। पश्चिम बंगाल में जहां ममता बनर्जी का शासन है जो माकपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है वहीं केरल में कांग्रेस नीत यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) पारंपारिक प्रतिद्वंद्वी है।

येचुरी ने कहा कि इस समय देश में जो हालात हैं माकपा समेत तमाम धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का मुख्य लक्ष्य नरेंद्र मोदी सरकार को हटाना है। माकपा नेता ने माना कि चुनावी सफलता की कसौटी पर माकपा ने 2004 से 2014 के बीच गिरावट देखी लेकिन उन्होंने दावा किया कि जहां तक जनता के मुद्दों पर संघर्षों का मामला है, पार्टी आज भी देश के एजेंडा को प्रभावित कर रही है। उन्होंने मुंबई में किसानों के मार्च से लेकर 200 किसान संगठनों को साथ लाने और संघर्ष करने का उदाहरण दिया।

स्वामी अग्निवेश पर हमले समेत मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र करते हुए श्री येचुरी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को कहना पड़ा है कि कानून बनाया जाये लेकिन इस सरकार की नीयत नहीं है।