नयी दिल्ली । केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा पेश करके कहा कि उसका समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने को लेकर कोई रुख नहीं है और इससे संबंधित फैसला वह न्यायालय पर छोड़ती है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा भी इस पीठ का हिस्सा हैं।
न्यायालय में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने तीन पृष्ठों का हलफनामा पेश करके कहा कि केंद्र सरकार का धारा 377 की संवैधानिकता से संबंधित मामले में कोई रुख नहीं है और उसने इसका फैसला न्यायालय पर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अब यह माननीय न्यायालय पर है कि वह इस संबंध में निर्णय ले।