बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में गर्भवती होने के बाद ब्याही गई युवती के विवाह को बैतूल के मुलताई न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश कृष्णदास महान ने अमान्य घोषित करते हुए भरण-पोषण की राशि का लाभ दिए जाने के आग्रह को भी खारिज कर दिया।
अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय ने गुरुवार को कहा कि मेरे मुवक्किल का विवाह अप्रेल, 2016 में उस युवती के साथ हुआ था। शादी के बाद जब पति को गर्भाधारण की बात पता चली, तो उन्होंने चिकित्सक से संपर्क किया। चिकित्सक ने युवती को 32 सप्ताह यानी 8 महीने का गर्भ होने की बात कही, जबकि विवाह को केवल चार महीने ही हुए थे।
उपाध्याय के अनुसार युवक ने न्यायालय के समक्ष विवाह को शून्य (अमान्य) घोषित करने के लिए आवेदन दिया। इस मामले में कई चिकित्सकों की गवाही एवं तर्को के बाद न्यायालय ने माना कि विवाह के पूर्व ही युवती गर्भवती थी। इस पर न्यायाधीश महान ने विवाह को ही अमान्य घोषित कर दिया।
इधर छोड़ी गई युवती ने न्यायालय के समक्ष पति से भरण-पोषण की राशि दिलाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन न्यायालय ने कहा कि युवती भरण-पोषण की हकदार नहीं है, क्योंकि न्यायालय इस विवाह को ही अमान्य घोषित कर दिया है।