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सिरोही कोर्ट ने दिए पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश, आरोपित को जमानत
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सिरोही कोर्ट ने दिए पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश, आरोपित को जमानत

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सिरोही कोर्ट ने दिए पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश, आरोपित को जमानत
man sentenced to life in jail for rapping 2 year old girl in Betul
sirohi court

सबगुरु न्यूज-सिरोही। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लिंक न्यायालय पुलकित शर्मा ने एक आत्महत्या प्रकरण में सिरोही कोतवाली पुलिस द्वारा समय पर अनुसंधान पूर्ण नहीं करने पर लापरवाही बरतने को लेकर अनुसंधान अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं अधिवक्ता मानसिंह देवडा की दलीलों से सहमत होते हुए निर्धारित अवधि में चालान नहीं पेश करने के कारण प्रकरण में आरोपितों की डिफाॅल्ट जमानत भी मंजूर की है।

मामला सिरोही शहर का है। सिरोही कोतवाली में 4 जनवरी को ईश्वर प्रजापत के आत्महत्या प्रकरण की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। इस मामले में सूसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने चंद्रप्रकाश उर्फ बंटी रांगी को 23 मार्च तथा नरेन््रद कुमार पुत्र सुरेन्द्र कुमार प्रजापत 25 मार्च को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद रिमांड पेश होने से पूर्व इन दोनों ने स्थानीय न्यायालय में जमानत याचिका लगाई जिसे न्यायालय ने खारिज कर दी।

इसके बाद अप्रेल में राजस्थान हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई उसे भी न्यायालय ने खारिज कर दी। इसके बाद इस केस को अपने हाथ में लेते हुए अधिवक्ता मानंिसह देवडा ने इन दोनों की डिफाॅल्ट जमानत याचिका सिरोही न्यायालय में लगाई। इसमें दलील दी गई कि आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत मामला दर्ज है। इस प्रकरण में  दस वर्ष तक सजा का प्रावधान है।

ऐसे में सीआरपीसी की धारा 167-(2)-(ए)-(2) के प्रावधानों के अनुसार 60 दिनों में आरोप पत्र दाखिल करना आवश्यक है। विहित अवधि में चार्जशीट पेश नहीं करने से आरोपित जमानत के हकदार हैं। बहस के दौरान देवडा में न्यायालय में इस संदर्भ में विभिन्न न्यायालयों के निर्णय रेफरेंस के रूप में प्रस्तुत किए। लोक अभियोजक ने कहा कि इस प्रकरण में दस साल की सजा का प्रावधान है ऐसे में आरोप पत्र दाखिल करने का समय 90 दिन है।

न्यायाधीश ने समस्त प्रावधानों के अवलोकन के बाद इस तकनीकी पहलू को माना कि इस प्रकरण में पुलिस को अपना आरोप पत्र 60 दिनों में दाखिल करना था, लेकिन वह नहीं कर पाई। ऐसे में आरोपित क्रमशः 68 और 67 दिनों से न्यायिक अभिरक्षा में हैं। न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए अधिवक्ता मानसिंह देवडा की दलीलों से सहमत होते हुए यह माना कि यदि 60 दिन और 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाता है तो आरोपित को डिफाॅल्ट जमानत पाने का अधिकार है।

न्यायालय ने आरोपितों की डिफाॅल्ट जमानत को स्वीकार करते हुए पुलिस मुख्यालय, पुलिस महानिरीक्षक और सिरोही पुलिस अधीक्षक को इस प्रकरण में जांच अधिकारी के खिलाफ लापरवाही और अनियमितता बरतने को लेकर रजिस्टर्ड सूचना प्रेषित करने के आदेश भी दिए।