नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के गठन को लेकर राज्यपाल वजूभाई वाला के फैसले को असंवैधानिक करार देने के कांग्रेस के रुख को सही ठहराया है। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा में कल अपराह्न चार बजे शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश एके सिकरी, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की याचिका पर यह आज अंतरिम आदेश दिया। न्यायालय ने राज्य की भाजपा सरकार की गुप्त मतदान की केंद्र सरकार की मांग खारिज कर दी।
गांधी ने ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय के आज के आदेश से हमारे इस रुख की पुष्टि होती है कि राज्यपाल ने असंवैधानिक ढंग से काम किया है। बहुमत की संख्या नहीं होने के बावजूद भाजपा के सरकार गठन के दावे को नकार दिया है।
गांधी ने आशंका जाहिर की है कि कानून द्वारा रोके जाने के बाद भी भाजपा सत्ता हासिल करने के लिए धन और बल का इस्तेमाल करने का प्रयास करेगी।
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में संवाददाता सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी तथा राज्यपाल की मनमानी को रोका है। न्यायालय के इस फैसले से देश में लोकतंत्र बचेगा और संविधान को खत्म करने की मनमानी थमेगी।
उन्होंने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय के फैसले काे सलाम करते हैं और उसका स्वागत करते है। भाजपा की चमड़ी बहुत मोटी है। न्यायालय की फटकार का उस पर कोई असर नहीं पड़ता है। भाजपा वाले बार बार वही गलती दोहरते हैं जिसके लिए उन्हें फटकार लगती है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को संविधान की जीत और लोकतंत्र की बहाली वाला बताया है। उन्होंने कहा कि बीएस येद्दियुरप्पा एक दिन के मुख्यमंत्री बन गए हैं। न्यायालय ने उनको नकार दिया है और कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।
सिंघवी ने कहा कि यदि भाजपा को शक्ति परीक्षण के लिए 15 दिन का समय दिया गया तो लोकतंत्र की हत्या हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस तत्काल शक्ति परीक्षण के पक्ष में है।
कुमारस्वामी की ओर से पेश हो रहे पूर्व कानून मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी कहा कि जद (एस) भी शीघ्रातिशीघ्र शक्ति परीक्षण को तैयार है।
न्यायालय ने तब कल ही शक्ति परीक्षण के संकेत दिए। इसका रोहतगी और एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह कहते हुए विरोध किया कि शक्ति परीक्षण के लिए तमाम प्रक्रियाएं करनी होती हैं, इसलिए इसे कम से कम सोमवार या मंगलवार तक टाला जाना चाहिए, लेकिन न्यायालय ने उनकी बात नहीं मानी और कल चार बजे शक्ति परीक्षण कराने का अंतरिम आदेश दिया।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य के डीजीपी सभी विधायकों को समुचित सुरक्षा मुहैया करायेंगे। इतना ही नहीं न्यायालय ने भाजपा की गुप्त मतदान की भी मांग खारिज कर दी। शक्ति-परीक्षण की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराए जाने की अनुमति देने से भी खंडपीठ ने इन्कार कर दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की ओर से श्री सिंघवी ने गत बुधवार की आधी रात को न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और मुख्यमंत्री के तौर पर श्री येद्दियुरप्पा के शपथ-ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की थी।
न्यायालय ने राज्यपाल के शपथ-ग्रहण आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था, लेकिन कहा था कि श्री येद्दियुरप्पा का मुख्यमंत्री पद पर बने रहना इस मामले में उसके निर्णय पर निर्भर करेगा। उसके बाद खंडपीठ ने आज साढ़े 10 बजे के लिए मामले की सुनवाई मुल्तवी कर दी थी।