नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सांसद/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी करने के लिए कुछ आदेश पारित करने के बुधवार को संकेत दिए।
न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दूसरे मामले में व्यस्तता की वजह से सुनवाई टालने की मांग की। लेकिन इस बीच, खंडपीठ ने केंद्र सरकार द्वारा जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताई।
न्यायमूर्ति रमना ने मेहता से कहा कि आपको लंबित आरोप पत्र आदि के बारे में जवाबी हलफनामा दाखिल करना था, लेकिन आपने अभी तक नहीं दाखिल किया। इस पर मेहता ने कहा कि वह अगली तारीख तक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर देंगे।
इस मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि राज्य सरकारें इन विशेष अदालतों के लिए नोडल अभियोजन अधिकारी नियुक्त कर सकती हैं जो समन आदि जैसी कार्रवाइयों के लिए जिम्मेदार हों।
हंसारिया ने कहा कि वर्तमान विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों को पूर्व विधायकों के मुकाबले प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि वे कानून निर्माता हैं। अगर उनके खिलाफ हत्या के मामले लंबित हैं, तो उन्हें हमारे लिए कानून नहीं बनाना चाहिए। यह सार्वजनिक हित में है।