अजमेर। कोरोना महामारी काल में लॉकडाउन के बीच सेवा परमो धर्म को लक्ष्य मानकर जरूरतमंदों की सेवा में जुटी सेवा भारती की अजमेर ईकाई के निशुल्क भोजन प्रकल्प का सोमवार को राजहंस वाटिका में विधिवत समापन किया गया। भोजनशाला के जरिए 31012 निशुल्क भोजन तथा 14080 खिचड़ी और दलिया के पैकेट का वितरण किया गया।
सेवा भारती के प्रांत सेवा प्रमुख शिव लहरी ने बताया कि मानव सेवा ही परम धर्म है। समाज जब घोर महामारी की समस्या से जूझ रहा था, ऐसे में सेवा भारती ने सेवा परमो धर्म की राह पर चलते हुए कार्यकर्ताओं के सहयोग से राजहंस वाटिका जयपुर रोड पर निशुल्क भोजन शाला में संचालित की। गत माह 3 मई को महज 71 निशुल्क भोजन पैकेट से प्रारंभ की गई इस भोजन शाला के जरिए एक हजार से अधिक पैकेट जरूरतमंदों तक पहुंचाए जाने लगे।
कोविड काल में लॉकडाउन निमयों की पालना करते हुए कार्यकर्ताओं के प्रयास और सहयोग से भोजनशाला को संचिालित रखा गया। भोजन पैकेट प्रतिदिन सुबह और शाम को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कोरोना पीड़ितों और उनके परिवारजनों तक पहुंचाने की नियमितता बरकरार रखी गई।
ऐसे परिवार जिनके बच्चे बाहर थे ऐसे घरों तक पहुंच बनाकर बुजुर्गों तथा घरों में आइसोलेट कोरोना संक्रमितों को भोजन पहुंचाया गया। सेवा भारती की ओर से संचालित इस भोजनशाला की सेवा को महत्वपूर्ण मानते हुए भामाशाहों का भरपूर सहयोग मिला। समाज सेवा के इस कार्य में अनेकानेक समाजसेवियों का योगदान रहा।
इस मौके पर सेवा भारती के प्रांत सेवा प्रमुख शिवलहरी ने भोजनशाला में सेवा देने वाले तथा 24 घंटे सेवा उपलब्ध रहने वाले सेवा भारती के कार्यकर्ताओं व भामाशाहों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि समाज सेवा के यज्ञ में आहुति देने के लिए हमेशा तैयार रहने वाले सेवाभारती के कार्यकर्ताओं ने संकटकाल में जिस तरह से जरूरतमंदों की सेवा की है वह अनुकरणीय है।
इस अवसर पर सेवा भारती के मंत्री मोहन लाल खंडेलवाल ने सेवा कार्य में लगे सभी कार्यकर्ताओं के कार्यों की सराहना की समाज से आह्वान किया कि वह अपने सामर्थ्य के अनुसार मानव कल्याण के लिए सेवा कार्य करते रहे। नर सेवा नारायण सेवा के भाव के साथ समाज में यदि सहयोग की भावना हुई तो हम मानव कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।
अस्पताल में भर्ती व घरों में आईसोलेट संक्रमितों तक पहुंचा भोजन
भोजन पैकेट के साथ ही सेवा भारती की ओर से अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों के लिए दलिया एवं खिचड़ी की भी व्यवस्था की गई, जिसमें प्रतिदिन 400 खिचड़ी के पैकेट उपलब्ध करवाए गए। जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय, क्षेत्रपाल चिकित्सालय, सेटेलाइट अस्पताल आदर्श नगर, सेटेलाइट चिकित्सालय पंचशील, मित्तल अस्पताल में भर्ती तथा अजमेर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से घरों में ही आइसोलेट कोरोना संक्रमितों व उनके परिवार के सदस्यों को मांग के अनुरूप भोजन निशुल्क पहुंचाया गया।
ऐसे पहुंचाया जाता था हर जरूरतमंद तक निशुल्क भोजन
सेवाभारती की ओर से भोजनशाला की व्यवस्था तथा सेवाकार्य को व्यवस्थित रूप दिया गया। हर जरूरतमंद तक भोजन पहुंचे इसके लिए बाकायदा हेल्प लाइन कें नंबर जारी किए गए। भोजन वितरण का कार्य देख रहे अंकित ने बताया कि कॉल के जरिए प्राप्त नंबरों को कंप्यूटर पर पूरी जानकारी मय पते व फोन नंबर के अनुसार सूचीबद्ध किया जाता रहा। बाद में इन्हें अस्पताल में भर्ती मरीजों व क्षेत्रावार मरीजों के अनुसार वर्गीकृत कर भोजन पहुंचाने की व्यवस्था तय की गई।
हर मरीज को यह सुविधा दी गई कि उसे खिचडी, दलिया या खाने की अन्य कोई जरूरत डाक्टरों ने बताई हो तो वह भी फोन पर सूचित कर दें ताकि उसके भोजन पैकेट के साथ तदनुरूप सामग्री पहुंचाई जा सके। प्रतिदिन दिए जाने वाले शुद्ध सात्विक भोजन में दो सब्जी, दाल, चावल और चपाती तथा सलाद उपलब्ध कराया जाता रहा।
भोजनशाला की पूरी टीम का बहुमान, कार्यकर्ताओं का सम्मान
कोरोना काल में अपने घर परिवार से दूर रहकर भोजनशाला में निरन्तर सेवा देने वाले प्रभुराम की टीम के सदस्य टीकम, राकेश, मनीष, सरिता, सुनीता, मुन्नी, आचुकी, दौलत का बहुमान किया गया। इन्होंने न केवल समय पर भोजन तैयार किया बल्कि कई बार रात्रि के समय अथवा भोजन वितरण का समय समाप्त होने के बाद भी जरूरतमंद के आने पर उसे भोजन उपलब्ध कराया।
भोजनशाला में तैयार भोजन पैकेटों को प्रतिदिन समय पर जरूरमंदों तक पहुंचाने में सेवाभारती के कार्यकर्ताओं की टीम हर समय मुस्तैद रही। इनमें रोहित, पुखराज, यश, हेमंत, पीयूष, देव, भूपेश, अंकुर, अभिषेक, तरुण, कुणाल, नीरज के नाम प्रमुख है। समापन समारोह सभी कार्यकर्ताओं व सहयोगियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सेवा भारती अजमेर ईकाई के अध्यक्ष मोहन लाल यादव ने सभी कार्यकर्ताओं की सराहना की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक धर्मराज, उपमहापौर नीरज जैन सहित संघ के अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे। मंच संचालन अमृतलाल ने किया।