जयपुर। कोरोना महामारी काल में विदेशों से वैक्सीन आयात करने के लिए निकाला गया राजस्थान सरकार का ग्लोबल टेंडर फेल हो गया है। अब तक किसी भी कंपनी से वैक्सीन सप्लाई की डील फाइनल नहीं हुई है। राज्य सरकार का कहना है कि टेंडर के लिए कंपनियों की जगह उनके डिस्ट्रीब्यूटर्स सामने आ रहे हैं, जो 300 रुपए की वैक्सीन के लिए 900 रुपए मांग रहे हैं।
टेंडर फेल होता देख राजस्थान सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रही है। राज्य सरकार कोर्ट से मांग करेगी कि वो केंद्र सरकार को 18 से 44 साल वालों के लिए वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर बुलाने का निर्देश दे। एक दो दिन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की रणनीति बनाई जा रही है।
ग्लोबल टेंडर में सीधी कंपनियां के आने की जगह स्पूतनिक, रिथेरा, एस्ट्रेजेनेका, कोवीशील्ड के डिस्ट्रीब्यूटर्स आए हैं। विदेशी कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स 900 से 1100 रुपए प्रति डोज की रेट बता रहे हैं। एस्ट्रेजेनेका के डिस्ट्रीब्यूटर्स की रेट भी 500 से ज्यादा आ रही है, जबकि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इसका उत्पादन कर रही है। सीरम इंस्टीट्यूट 150 रुपए में केंद्र सरकार को और 300 रुपए में राजस्थान को वैक्सीन दे रही है। ग्लोबल टेंडर में राज्य सरकार इतनी ऊंची दरों पर वैक्सीन लेने को तैयार नहीं है।
ग्लोबल टेंडर में वैक्सीन की रेट ज्यादा है जो देना सरकार के लिए संभव नहीं है। सीधे वैक्सीन कंपनियों ने ग्लोबल टेंडर में भाग नहीं लिया, वैक्सीन कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स की क्षमताएं टेस्टेड नहीं। बहुत ज्यादा रेट के बावजूद 30 दिन में एक करोड़ डोज सप्लाई की गारंटी नहीं।
ग्लोबल टेंडर में भाग लेने वाले वैक्सीन कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स के क्रेडेंशियल्स जांचने में दिक्कतें, इस पूरी प्रक्रिया में विदेश मंत्रालय, विदेशी दूतावासों से होकर गुजरने की लंबी प्रक्रिया है। बिडर सही है या नहीं यह जांचने की राजस्थान सरकार के पास पुख्ता व्यवस्था नहीं। केंद्र और राज्य सरकार के बीच तल्खी भी जिम्मेदार।
स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर केंद्र सरकार को ही करना चाहिए। हम इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं, जल्द याचिका दायर कर रहे हैं। ग्लोबल टेंडर में आने वाली विदेशी कंपनियां सही हैं या नहीं, उनके क्रेडेंशियल्स जांचने के लिए दूतावासों और संबंधित देशों से संपर्क करना होता है। यह काम केंद्र सरकार स्तर का है, विदेश में तो भारत सरकार ही बात करेगी। राज्यों के ग्लोबल टेंडर में इस तरह की व्यावहारिक दिक्कतें हैंं। हम सुप्रीम कोर्ट में इन्हीं सब तथ्यों को रखेंगे।
राजस्थान सरकार ने 1 करोड़ वैक्सीन आयात के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला था। 20 मई तक कंपनियों से प्रस्ताव मांगे। ग्लोबल टेंडर में स्पूतनिक, रिथेरा, एस्ट्रेजेनेका, कोवीशील्ड वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने भाग लिया। ग्लोबल टेंडर में आने वाली कंपनियां वैक्सीन की तीन से चार गुना तक रेट मांग रही हैं। राजस्थान सरकार इतनी महंगी दरों पर वैक्सीन खरीदने को तैयार नहीं है।
अगर इन कंपनियों की रेट पर वैक्सीन ली जाए तो सरकार का बजट बुरी तरह गड़बड़ा जाएगा। 30 दिन में 1 करोड़ डोज देने की स्थिति में भी कंपनियां नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा ग्लोबल टेंडर में आई कंपनियों की दरें बहुत ज्यादा हैं साथ ही दिए गए समय में सप्लाई की गारंटी का भी इश्यू है।
राजस्थान सरकार ने पहले सीरम इंस्टीट्यूट को 1 करोड़ डोज वैक्सीन सप्लाई का ऑर्डर दिया था, लेकिन सीरम भी एक साथ वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रहा। अब तक केवल 16 लाख डोज मिले हैं। सरकार ने युवाओं के वैक्सीनेशन में देरी से बचने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला लेकिन वहां रेट से लेकर बहुत सी व्यावहारिक दिक्कतें आ गई। ग्लोबल टेंडर से वैक्सीन मिलेगी इसकी अब उम्मीद लगभग न के बराबर है। राजस्थान के अलावा पंजाब, यूपी सहित कई राज्यों के ग्लोबल टेंडर के भी कमोबेश यही हालात हैं।
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