कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सबसे पुराने ऐतिहासिक स्थलों में से एक तथा 19वीं शताब्दी के स्मारक शहीद मीनार में दरारें पड़ गई हैं।
अड़तालिस मीटर ऊंची तथा 157 फुट चौड़ी शहीद मीनार को आम तौर पर ओक्टरलोनी स्मारक के नाम से जाना जाता है जिसका निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी के कमांडर सर डेविड ओक्टरलोनी ने वर्ष 1828 में 1804 में दिल्ली की रक्षा और इंग्लो-नेपाली युद्ध में गोरखा ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत के याद में करवाया था।
संयुक्त मोर्चा सरकार ने नौ अगस्त 1969 ने पुन: नामकरण किया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शहीदों की स्मृति में इसे समर्पित कर दिया। जे पी पार्कर ने इसकी रूप रेखा तैयार की थी और चौरंगी क्षेत्र में स्थित इस स्मारक का निर्माण सार्वजनिक फंड से किया गया।
कोलकाता नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के विशेषज्ञों ने इस पर संज्ञान ले लिया है और इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू करने से पहले सत्यापन का काम किया जा रहा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के 12 विशेषज्ञों ने गत शुक्रवार को स्मारक के दरारों का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि स्मारक के जीर्णोद्धार का काम इसके वास्तविक रूप को बनाए रखने के लिए पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद शुरू किया जाएगा। सरकार टावर की चमक को बरकरार रखने के लिए पैसा खर्च कर रही है।