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सीआरआइएफ हाई मार्क का त्रैमासिक रिपोर्ट जारी - Sabguru News
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सीआरआइएफ हाई मार्क का त्रैमासिक रिपोर्ट जारी

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सीआरआइएफ हाई मार्क का त्रैमासिक रिपोर्ट जारी
CRIF high mark quarterly report released
CRIF high mark quarterly report released
CRIF high mark quarterly report released

नई दिल्ली। देश के प्रमुख क्रेडिट ब्यूरो में से एक सीआरआईएफ हाई मार्क ने अपनी त्रैमासिक रिपोर्ट सीआरआइएफ माइक्रोलेंड के 13वें संस्करण को जारी किया है।

इस रिपोर्ट में भारे में माइक्रो लेंडिंग उद्योग के परिदृश्‍य पर नजर डाली गई है। मौजूदा संस्‍करण में सितंबर 2020 तक के माइक्रो लेडिंग पोर्टफोलियो के बारे में विस्तृत जानकारी पेश की गई है। सितंबर 2020 तक माइक्रो फाइनेंस का आकार 224 हजार करोड़ रुपये था। लॉकडाउन की वजह से जून 2020 के बाद से पोर्टफोलियो में गिरावट जारी है और इसमें 1.15 फीसदी की और गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, सालाना आधार पर इसमें 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2020 की दूसरी तिमाही में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में सात फीसदी की कमी आई और इनकी संख्या घटकर करीब 5.7 करोड़ रह गई। वहीं ऐक्टिव लोन बेस में भी करीब 1.5 फीसदी की कमी आई और ऐक्टिव लोन की संख्या 10.5 करोड़ रह गई।

पिछले साल की दूसरी तिमाही के मुकाबले इस बार (लोन) वैल्यू और वॉल्यूम दोनों में 50 फीसदी की गिरावट आई। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में माइक्रोफाइनेंस लोन का औसत आकार 34.7 हजार रुपये रहा। कर्ज के शुरुआती भुगतान में चूक की दर 15.7 फीसदी रही, जो माइक्रोफाइनेंस कारोबार के संचालन में लॉकडाउन के बाद सामान्य हुई स्थिति बहाल होने के बाद हुई बढ़ोतरी को दर्शाता है। सितंबर 2020 तक शीर्ष 10 राज्यों की राष्ट्रीय जीएलपी (सकल कर्ज पोर्टफोलियो) में 83 फीसदी हिस्सेदारी रही। पिछली तिमाही के मुकाबले इस सेक्टर का क्षेत्रीय वितरण कमोबेश समान ही रहा।

34.7 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ पूर्वी क्षेत्र का इस सेक्टर में दबदबा रहा। इसके बाद 26.3 फीसदी की हिस्सेदारी दक्षिणी क्षेत्र की, 14.6 फीसदी हिस्सेदारी पश्चिमी क्षेत्र, सेंट्रल रीजन की हिस्सेदारी 7.7 फीसदी हिस्सेदारी और पूर्वोत्तर क्षेत्र की हिस्सेदारी 6.9 फीसदी रही। हालांकि, पूर्वोत्तर क्षेत्रों को छोड़कर सभी क्षेत्रों के सकल कर्ज पोर्टफोलियो यानी जीएलपी में गिरावट आई। पूर्वोत्तर क्षेत्र के सकल कर्ज पोर्टफोलियो में पिछली तिमाही के मुकाबले दो फीसदी की तेजी आई।

पूर्वी क्षेत्र में बैंकों की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी रही और इसके बाद दक्षिणी भौगोलिक क्षेत्रों में यह हिस्सेदारी बेहद कम 14 फीसदी दर्ज की गई। सितंबर 2020 तक दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान और सूक्ष्म वित्त संस्थाओं (एनबीएफसी एमएफआई) की हिस्सेदारी करीब-करीब बराबर यानी क्रमश: 29 फीसदी और 28 फीसदी रही। वहीं सूक्ष्म वित्तीय बैंकों (SFB) का पोर्टफोलियो दक्षिणी क्षेत्र में काफी मजबूत रहा। इस क्षेत्र के कुल बाजार में उनकी हिस्सेदारी 41 फीसदी रही।

राष्ट्रीय जीएलपी (सकल कर्ज पोर्टफोलियो) के मुकाबले 15 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ पिछली तिमाही के मुकाबले सितंबर 2020 में पश्चिम बंगाल शीर्ष पायदान पर रहा। तमिलनाडु 14 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर जबकि बिहार की इस क्षेत्र में हिस्सेदारी 11 फीसदी दर्ज की गई। तिमाही आधार पर बंगाल में वृद्धि दर 2.2 फीसदी रही, जबकि तमिलनाडु और बिहार में वृद्धि दर क्रमश: 1.6 फीसदी और 2.9 फीसदी दर्ज की गई।

शीर्ष 10 राज्यों में लोन मोराटोरियम की अवधि खत्म होने के बाद भुगतान की स्थिति दबाव में दिखी। पीएआर 1-30 डीपीडी के आधार पर देखा जाए तो 31.2 फीसदी के साथ पश्चिम बंगाल की स्थिति ज्यादा तनाव में दिखी वहीं, असम में यह प्रतिशत 27.3 फीसदी रहा। महाराष्ट्र और बिहार में 17.5 फीसदी के साथ पीएआर 1-30 डीपीडी की स्थिति ऊच्च दिखी, जो ओडिशा के 18.9 फीसदी से थोड़ा ही कम रहा।

असम में सूक्ष्म वित्त कर्ज खातों पर ज्यादा दबाव दिखा। यहां पीएआर 31-180 15 फीसदी के स्तर पर चला गया। वहीं उत्तर प्रदेश में पीएआर 31-180 डीपीडी एक फीसदी पर रहा। पीएआर 180(+) महाराष्ट्र में अधिकतम रहा और यहां ऐसे मामलों की संख्या कुल पोर्टफोलियो की 7.4 फीसदी रही, जबकि कर्नाटक में यह प्रतिशत 5.1 और असम में ऐसे मामलों का प्रतिशत 4.7 फीसदी रहा।

सीआरआइएफ हाई मार्क के प्रबंध निदेशक और सीईओ नवीन चांदनी ने कहा, सितंबर 2020 तक माइक्रोफाइनेंस सेक्टर 224 हजार करोड़ रुपये का रहा, जिसमें सालाना आधार पर 14 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। लॉकडाउन के बाद कर्ज गतिविधियां सामान्य स्थिति में आईं और इसकी वजह से वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में कर्ज वितरण के मामले में तेजी आई। पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 380 फीसदी की तेजी देखी गई। वहीं पोर्टफोलियो पर कुछ दबाव दिखा और कर्ज भुगतान में शुरुआती चूक (1-30 डीपीडी) 15.7 फीसदी रही। माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री और नीति निर्माताओं द्वारा तकनीक का लाभ उठाने और प्रभावी डिजिटल कलेक्‍शन मैकेनिज्‍म विकसित करने के लिए किए गए प्रयास नियंत्रण बनाए रखने की दिशा में एकदम सही कदम है।