अगरतला। त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोग इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के एक विधायक के इस्तीफा देने की वजह से मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सिम्ना-1 (सु) विधानसभा क्षेत्र के विधायक वृषकेतु देववर्मा ने निजी कारण बताकर मंगलवार शाम विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
वृषकेतु पहली बार माकपा के मजबूत गढ़ सिम्ना से 2018 में आईपीएफटी की टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन सरकार के कामकाज से खुश नहीं थे। देववर्मा की पार्टी के अध्यक्ष एनसी देववर्मा तथा महासचिव मेवार कुमार जमातिया देव सरकार में महत्वपूर्ण पद पर हैं।
बताया जा रहा है कि देववर्मा राज परिवार से संबंधित प्रद्योत किशोर देबबर्मन की पार्टी तिपरा इंडीजिनस प्रोग्रेसिव रीजनल अलायंस (तिपरा) में शामिल हो सकते हैं।
तिपरा ने इस साल अप्रैल में हुए आदिवासी क्षेत्र स्वायत जिला परिषद (एडीसी) चुनावों में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को पराजित कर जीत हासिल की थी। श्री देववर्मा के इस्तीफा के बाद आईपीएफटी के विधायकों की संख्या घटकर सात रह गई है, जबकि भाजपा विधायकों की संख्या 36 है।
कथित तौर पर देववर्मा तथा मेवार कुमार जमातिया ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पार्टी हित से समझौता किया है। हाल ही में जमातिया पर भाजपा में शामिल होने के लिए भगवा पार्टी के नेताओं के साथ नजदीकियां बढ़ाने का आरोप लगा था।
वहीं एडीसी चुनाव में जीत हासिल करने के बाद से तिपरा लगातार भाजपा तथा आईपीएफटी पर हमला कर रही है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री बिपल्ब कुमार देव तथा आईपीएफटी के मंत्री इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
वृषकेतु के घनिष्ठ सहयोगी ने आरोप लगाया कि पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं पर तिपरा के कार्यकर्ता अत्याचार कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भाजपा तथा आईपीएफटी का शीर्ष नेतृत्व तिपरा के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए हुए हैं। पार्टी के नेता एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री तथा उप मुख्यमंत्री प्रद्योत किशोर देववर्मन की सरेआम प्रशंसा कर रहे हैं।