गोल्ड कोस्ट। भारत ने अपने खिलाड़ियों के शानदार और दमदार खेल की बदौलत 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य सहित कुल 66 पदक जीतकर गोल्ड कोस्ट में 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में अपने इतिहास का तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारत ने इन 66 पदकों के साथ राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में 500 पदक भी पूरे कर लिए और यह उपलब्धि हासिल करने वाला वह पांचवां देश बन गया।
भारत मेजबान आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद तीसरे स्थान पर रहा। आस्ट्रेलिया ने 80 स्वर्ण सहित 198 पदक जीते जबकि इंग्लैंड ने 45 स्वर्ण सहित 136 पदक जीते। कनाडा 15 स्वर्ण सहित 82 पदक जीतकर चौथे और न्यूजीलैंड 15 स्वर्ण सहित 46 पदक जीतकर पांचवें नंबर पर रहा।
भारत ने 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों की 15 स्वर्ण सहित 64 की कुल पदक संख्या को कहीं पीछे छोड़ दिया। भारत का राष्ट्रमंडल खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अपनी मेजबानी में 2010 दिल्ली में दूसरा स्थान रहा था जहां उसने 38 स्वर्ण सहित कुल 101 पदक जीते थे। भारत ने 2002 के मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में 30 स्वर्ण सहित 69 पदक जीते थे और उस समय वह चौथे स्थान पर रहा था।
राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में भारत के अब कुल 504 पदक हो गये हैं जिनमें 181 स्वर्ण, 175 रजत और 148 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत ने खेलों के अंतिम दिन रविवार को सात पदक जीतकर अपने पदकों की ओवरऑल संख्या को 66 पहुंचा दिया।
भारत ने इन खेलों में कई प्रतियोगिताओं में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। खासतौर पर मुक्केबाजी, भारोत्तोलन, निशानेबाजी, टेबल टेनिस, कुश्ती और बैडमिंटन में भारत का प्रदर्शन चरम पर रहा और भारत ने अपने सर्वाधिक पदक इन्हीं खेलों में जीते।
निशानेबाजी में भारत ने सबसे ज्यादा पदक हासिल किये। युवा निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने सात स्वर्ण, चार रजत और पांच कांस्य पदक कुल 16 पदक जीते। इसके बाद कुश्ती का नंबर रहा जहां भारत ने पांच स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य सहित कुल 12 पदक जीते।
इसके बाद मुक्केबाजी अौर भारोत्तोलन का नंबर रहा जहां भारतीय खिलाड़ियों ने नौ नौ पदक जीते। भारोत्तोलन में भारत को पांच स्वर्ण, दो रजत और दाे कांस्य तथा मुक्केबाजी में तीन स्वर्ण, तीन रजत और तीन कांस्य पदक मिले।
टेबल टेनिस की कामयाबी हर लिहाज से हैरतअंगेज रही जिसमें भारतीय खिलाड़ियों ने तीन स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य सहित कुल आठ पदक जीते। बैडमिंटन में भारत ने दो स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य सहित छह पदक हासिल किए। एथलेटिक्स में भारत को एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक मिला। स्क्वैश में भारत के हिस्से में दो रजत पदक आये। पैरा पावरलिफ्टिंग में भारत को एक कांस्य पदक मिला।
भारत ने गोल्ड कोस्ट में 226 सदस्यीय दल उतारा था जिसमें आठ पैरा खिलाड़ी भी शामिल थे। इन खिलाड़ियों में कुल 66 पदक जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया। गोल्ड कोस्ट में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने की शुरूआत भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने की थी और इन खेलों का समापन बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने स्वर्ण पदक जीतकर किया।
भारत के लिहाज से इन खेलों की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी टेबल टेनिस की मणिका बत्रा रहीं जिन्होंने कमाल का प्रदर्शन करते हुये चार पदक हासिल किये। मणिका ने महिला टीम स्वर्ण, महिला एकल स्वर्ण, महिला युगल रजत और मिश्रित युगल कांस्य पदक जीता।
बैडमिंटन में सायना ने आठ साल पहले की दिल्ली की उपलब्धि को दोहराया। उन्होंने भारत को ऐतिहासिक टीम स्वर्ण दिलाने के साथ साथ महिला एकल स्वर्ण भी जीता और वह राष्ट्रमंडल खेलों में दो बैडमिंटन स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गयीं।
कुश्ती के लीजेंड पहलवान सुशील कुमार ने अपने आलोचकों को गलत साबित करते हुए 74 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और राष्ट्रमंडल खेलों में खिताबी हैट्रिक पूरी की। सुशील ने 2010 दिल्ली और 2014 ग्लास्गो में भी स्वर्ण पदक जीते थे। सुशील ने ग्लास्गो में स्वर्ण जीतने के बाद एक बार फिर सफल वापसी की और दिखाया कि वह आगामी ओलंपिक के लिए भी तैयार है।
पांच बार की विश्व चैंपियन, ओलंपिक पदक विजेता और एशियाई चैंपियन महिला मुक्केबाज़ एमसी मैरीकॉम का 35 साल की उम्र में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण जीतना किसी अजूबे से कम नहीं रहा। उन्होंने इन खेलों में पहली बार शिरकत की और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने का अपना सपना भी पूरा कर लिया। मैरीकॉम का अब कहना है कि यदि वह फिट रहती हैं तो 2020 के ओलंपिक में भी उतर सकती हैं।
गोल्ड कोस्ट खेलों में भारत के दो युवा निशानेबाजों अनीश भनवाला और मनु भाकर के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। इन निशानेबाजों ने अपने प्रदर्शन से देश को भविष्य के लिये आश्वस्त किया। हरियाणा की 16 साल की मनु ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में ऐतिहासिक स्वर्ण जीता जबकि हरियाणा के ही अनीश ने 15 साल की उम्र में 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इन खेलों में सबसे युवा भारतीय स्वर्ण विजेता होने का गौरव हासिल कर लिया।
एथलेटिक्स में 20 साल के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक स्पर्धा में सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुये 86.47 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर स्वर्ण जीता और इस स्पर्धा में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी बन गए।
नीरज का यह पदक भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों के एथलेटिक्स इतिहास में मात्र पांचवां स्वर्ण पदक रहा। उनसे पहले उड़न सिख मिल्खा सिंह ने 1958 कार्डिफ में 400 मीटर, डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने 2010 दिल्ली में, महिला चार गुणा 400 मीटर रिले टीम ने दिल्ली में और डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा ने 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक दिला थे। पैरा पावरलिफ्टिंग में सतीश चौधरी ने सराहनीय प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीता। पैरा स्पोर्ट्स में भारत का यह एकमात्र पदक रहा।
भारत को इन खेलों में यदि सबसे अधिक निराश किसी ने किया तो वह पुरूष और महिला टीमें रहीं जो फाइनल में नहीं पहुंच सकीं और कांस्य पदक मुकाबले भी हार गई। पुरूष टीम ने दिल्ली और ग्लास्गो में रजत पदक जीते थे लेकिन इस बार उसे कांस्य पदक के लिए इंग्लैंड से 1-2 से हार का सामना करना पड़ा जबकि महिला टीम भी कांस्य पदक के मुकाबले में इंग्लैंड से 0-6 से हार गई।
वहीं निशानेबाजों में गगन नारंग और मानवजीत सिंह संधू जैसे अनुभवी निशानेबाजों के लिए यह खेल निराशाजनक रहे और दोनों ही पदक होड़ में नहीं पहुंच सके। जिमनास्टिक, तैराकी, बास्केटबॉल, साइक्लिंग और लॉन बॉल में भारत का खाता नहीं खुला।