गांधीनगर। अरब सागर में उठे अत्यंत तीव्र चक्रवाती तूफान ‘महा’ के कल से गुजरात की ओर रूख करने और सात नवंबर की सुबह दीव और पोरबंदर के बीच किसी स्थान पर तट से टकराने (लैंडफाॅल करने) की संभावना है।
इस बीच राज्य सरकार ने लोगों से नहीं घबराने और अपने रोजमर्रा के काम नियमित ढंग से करने की अपील की है और कहा है कि स्थिति पर तंत्र की पूरी नजर है और राहत और बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।
उधर, यह तूफान, जो वेरावल तट से 680 और पोरबंदर से 650 किमी पश्चिम दक्षिणपश्चिम में स्थित है और जिसके चलते समुद्र में इसके आसपास अभी 200 किमी प्रति घंटे से भी तेज गति से हवाएं चल रही है, कल सुबह मुड़ कर गुजरात तट की ओर बढ़ना शुरू करेगा। हालांकि यह उत्तरोत्तर कमजोर होकर सामान्य तूफान के तौर पर गुजरात तट तक पहुंचेगा तब हवाओं की गति 80 से 100 किमी प्रति घंटा की होगी जो पूर्व के अनुमान से कम है।
राज्य के राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पंकज कुमार ने आज बताया कि तूफान के मद्देनजर पहली प्राथमिकता मछुआरों को बचाने की है और अब तक गुजरात तट के आसपास समुद्र से कुल 12600 में से 12000 नौकाएं लौट आयी हैं। शेष भी जल्द ही लौट आयेंगी। राज्य सरकार केंद्र सरकार के भी संपर्क में है। हर जरूरी एहतियाती उपाय किये जा रहे हैं। लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
एनडीआरएफ की 15 टीमें पहले से राज्य में है जबकि 15 और बाहर से बुलायी जा रही हैं। इन्हें तटीय इलाकों में तैनात किया जा रहा है। जिन जिलों पर तूफान का असर संभावित है, उन्हें भी अलर्ट कर दिया गया है। मौसम विभाग के नवीनतम बुलेटिन के आधार पर तूफान संबंधी तैयारियां की जा रही हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र की वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक मनोरमा मोहंती ने बताया कि तूफान के असर से राज्य के अधिकतर स्थानों पर मध्यम से हल्की वर्षा छह और सात नवंबर को होगी जबकि छह को जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, सूरत, भरूच, आणंद, अहमदाबाद, बोटाद, पोरबंदर और राजकोट में कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी और सात नवंबर को भावनगर, सूरत, भरूच्, आणंद, अहमदाबाद, बोटाद और वडोदरा में भारी से अति भारी वर्षा हो सकती है।
छह नवंबर से ही तटवर्ती इलाके में 40 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवांए चलेगी जो अगले दिन तक 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती हैं। समुद्र में ऊंची लहरें उठेंगी।
इसके चलते उक्त तटवर्ती जिलों में कच्चे मकानों, झोपड़ियों, सड़कों, फसलों, नमक बनाने के स्थानों, बिजली के खंबों और पेड़ों आदि को नुकसान पहुंच सकता है।