अजमेर। अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने कहा कि भारत सरकार घी की जीएसटी दर कम करने पर गंभीर है। इस संबंध में शुक्रवार को नई दिल्ली में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के उप सचिव गौरव सिंह के साथ देश के जाने माने डेयरी क्षेत्र के विशेषज्ञों से इस संबंध में विस्तृत चर्चा की गई।
रामचन्द्र चौधरी, इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जीएस राजोरिया, मदर डेयरी के महाप्रबंधक संजीव खरबन्दा, उमंग डेयरी के सीईओ मनीष बन्दलीश ने चर्चा में भाग लिया तथा गत वर्ष जुलाई 2017 से घी की जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत रखने पर चर्चा हुई।
चौधरी ने उन्हें अवगत कराया कि जीएसटी बढ़ने से प्रति किलो घी पर टैक्स 26 रुपए की वृद्धि हुई है। इससे संगठित क्षेत्र के पशुपालको एवंम् डेयरी उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि संगठित क्षेत्र वाले संस्थान शत-प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहे है। इसमें घी की बिक्री पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
गत एक साल से घी का भारी स्टॉक हो गया है, लगभग सभी उद्योग भारी घाटे में चल रहे हैं क्योंकि असंगठित क्षेत्र एवंम् खुले कारोबारी जीएसटी का भुगतान नाममात्र का करते हैं जिससे की भारत सरकार को भी राजस्व की भारी हानि होती है।
उन्होंने बताया कि गत वर्ष इन दिनाें 15 किलो वाले घी के टिन का बाजार भाव 7300 रुपए था वर्तमान में यह भारी मंदी के कारण यह 10/20/50 टन घी एकमुश्त लेने पर 4800 रुपए प्रति टिन की दर पर देना पड़ रहा है। शेष फुटकर 5350 रुपए प्रति टीन की दर से दिया जा रहा है।
उपरोक्त मूल्यों में गिरावट से पशुपालकों को पूरे देश में दुग्ध की क्रय दर 40-43 रुपए प्रति लीटर औसत जो गत वर्ष दिया जा रहा था। अब उस दुग्ध की क्रय दर 32 रुपए प्रति लीटर से दिया जा रहा है। इससे पशुपालकों को गत वर्ष की तुलना में 10 रुपए कम मिल रहे है। इसके कारण भारत सरकार के जो लक्ष्य है कि सन् 2022 तक पशुपालकों की आय दोगुनी की जाए, इसके विपरित आय में कमी हुई है।
गौरव सिंह द्वारा वर्तमान में देश में प्रतिदिन घी का कितना उत्पादन हो रहा है एवं वर्ष भर में कितना घी बन रहा है की जानकारी मांगी गई। उनका रूख पशुपालकों के पक्ष में सकारात्मक रहा। इससे यह आशा बंधी है कि भारत सरकार निकट भविष्य में घी पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर के 5 प्रतिशत करने का मानस बना रही है।