नई दिल्ली। गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने मंगलवार को भाजपा पर अपने जैसे युवा नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया। मेवानी ने भाजपा और आरएसएस पर महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में दलितों के खिलाफ हिंसा भड़काने का भी आरोप लगाया।
मेवानी ने अपनी हुंकार रैली में कहा कि जिस तरीके से गुजरात में हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश ने युवाओं के समर्थन से भाजपा को 150 सीटों (गुजरात में भाजपा का लक्ष्य) से 99 सीटों पर ला दिया, उसी की वजह से हमें निशाना बनाया जा रहा है।
पुणे की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि और यही कारण है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भाजपा के लोगों ने भीमा-कोरेगांव में हिंसा फैलाई। पुणे के समीप भीमा-कोरेगांव में पिछले सप्ताह भड़की हिसा में एक शख्स की मौत हो गई थी और कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे।
दिल्ली पुलिस ने रैली करने की मंजूरी नहीं दी थी, फिर भी जंतर-मंतर पर रैली आयोजित की गई। लेकिन मेवानी और उनके समर्थकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक जुलूस निकालने की योजना रद्द कर दी। जंतर मंतर मध्य दिल्ली स्थित संसद भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
नवनिर्वाचित विधायक ने यह भी कहा कि जब उन्होंने गुजरात में चुनाव लड़ा था, तो हमेशा लोगों को एक साथ लाने के बारे में बात की थी।
उन्होंने कहा कि चुनाव अभियान के दौरान हमने कहा था कि भाजपा ने 22 साल तक विभाजन की राजनीति की है, जबकि हमने हमेशा लोगों को एकजुट रहने के लिए कहा। मेवानी ने कहा कि हम लव-जिहाद को नहीं अपनाते हैं।
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ प्यार और सदभाव के बारे में बात करेंगे। हम 14 अप्रेल को वैलेंटाइन डे भी मनाएंगे। पुणे के भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर पिछले दिनों हुई हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि भीमा-कोरेगांव में हिंसा क्यों हुई?
उन्होंने कहा कि मुझे उसका जवाब देने की जरूरत नहीं है, बल्कि आपको मुझे जवाब देना होगा। आपको इसका जवाब देना होगा कि क्यों सभी के खातों में 15 लाख रुपए नहीं आए? युवाओं के लिए रोजगार क्यों नहीं है? मंदसौर में किसानों की हत्या क्यों की गई? उना के दलित पीड़ितों को क्यों न्याय नहीं मिला? क्यों नजीब अहमद गायब हो गए? रोहित वेमुला की मौत क्यों हुई? हम ये सभी प्रश्न आपसे (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदीजी से पूछेंगे।
विधानसभा चुनाव में गुजरात के वडगाम से निर्वाचित मेवानी ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को बोलने की अनुमति नहीं है और यह है गुजरात का मॉडल। इससे पहले, मेवानी द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के लिए संसद मार्ग पर बैरिकेडिंग के आसपास कई लोग एकत्र हुए थे।
संयुक्त पुलिस आयुक्त अजय चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि किसी को भी (किसी रैली को आयोजित करने के लिए) कोई अनुमति नहीं दी गई है।
गुजरात के विधायक ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति से इनकार करने के लिए पुलिस और केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधि को बोलने की अनुमति नहीं है.. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।