अजमेर। अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की पवित्र मजार के गुंबद में मक्का मदीने की एक चादर जायरीनों की जियारत के लिए लगाई जाएगी।
ख्वाजा साहब के गद्दीनशीन एसएफ हसन चिश्ती ने बताया कि यह चादर चांद की सात तारीख से चांद की दस तारीख तक लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि ईदुलजुहा के मुबारक मौके पर ख्वाजा साहब की दरगाह में मक्का मदीना की चादर चढ़ाकर खुद्दाम-ए-ख्वाजा मुल्क की खुशहाली, अमन चैन एवं भाईचारे के लिए दुआ करेंगे। इस मौके पर दरगाह में मौजूद अकीदतमंदों एवं जायरीनों के लिए भी दुआ की जाएगी।
ईदुलजुहा के मौके पर दरगाह शरीफ स्थित जन्नती दरवाजा परंपरागत तरीके से अलसुबह चार बजे खोला जाएगा और जौहर की नमाज के बाद बंद कर दिया जाएगा।
ईदुलजुहा पर सरहदी इलाकों के जो लोग माली हालत से कमजोर होते हैं वह हर साल की तरह इस साल भी अपने पुर्खों की परंपरा को कायम रखते हुए ख्वाजा साहब की दरगाह में ईदुलजुहा से एक दिन पूर्व चांद की नौ तारीख को यानी अंग्रेजी ग्यारह अगस्त की रात्रि रातभर दरगाह में विशेष इबादत करेंगे तथा ईदुलजुहा की नमाज पढ़ अपने घर लौट जाएंगे। ऐसे लोग गुजरात के कच्छ-भुज, राजस्थान के जैसलमेर-बाड़मेर तथा कश्मीर प्रांत के प्राय ज्यादा होते हैं।
ईदुलजुहा (बकरीद) अंग्रेजी तारीख की बारह अगस्त को अजमेर शरीफ सहित पूरे मुल्क में परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा। इस दौरान मुस्लिम समुदाय अल्लाह की राह में बकरों की कुर्बानी भी देगा। अजमेर के ब्यावर रोड स्थित बकरा मंडी पर लाखों रुपए के बकरों की खरीद फरोख्त का दौर जारी है।
बकरा मंडी में देशी बकरों के अलावा कश्मीरी बकरे एवं भेड़ें भी बिक्री के लिए उपलब्ध है। कुछ खास नस्ल के बकरे भी ऊंची दामों पर कुर्बानी के लिए तैयार है। बकरों को खरीदने के लिए मंडी में मुस्लिम समाज के लोग सुबह से शाम तक सौदेबाजी करते हुए देखे जा सकते हैं।