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पढें क्यों 'ऐतिहासिक' ही होगा कोटा दशहरा मेला - Sabguru News
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पढें क्यों ‘ऐतिहासिक’ ही होगा कोटा दशहरा मेला

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पढें क्यों ‘ऐतिहासिक’ ही होगा कोटा दशहरा मेला

कोटा। राजस्थान में कोटा के ऐतिहासिक दशहरा पर्व पर विजयदशमी का आयोजन इस बार सचमुच कई दशकों से चली आ रही परंपरा से अलग हट के ‘ऐतिहासिक’ ही होने वाला है।

वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के चलते इस बार दशहरा जरा अलग तरीके से होगा क्योंकि पिछले कई वर्षों से इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब मेला नहीं भरेगा तो जाहिर है कि इसमें सम्मिलित होने के लिए भीड़ भी नहीं उमड़ेगी वरना तो बीते सालों में विजया दशमी पर रावण दहन के दिन ही कई हजार लोग कोटा के दशहरा मैदान पर जुट जाते थे।

रविवार को असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयादशमी का पर्व है और इस अवसर पर असत्य के प्रतीक माने जाने वाले दशानन रावण और कुंभकरण, मेघनाद के पुतलों का दहन होगा।

इस दौरान कई अवसरों पर इन तीनों के कद लगातार बढ़ते रहे हैं, लेकिन यह पहला अवसर होगा जब इन तीनों के पुतलों का कद घटेगा। कोटा में 72 फीट के रावण के पुतले का दहन होता रहा है, लेकिन इस बार रावण ही नहीं कुंभकरण मेघनाथ के पुतलों का कद घटकर मात्र 11 फीट ही रह जाएगा।

कद घटने के साथ कोटा नगर निगम का इन पुतलों के निर्माण पर होने वाला खर्च भी घटेगा। पहले इन पुतलों को बनाने में जो पांच से छह लाख रुपए की लागत आती थी, वह 1.10 लाख रुपए की ही रह जाएगी। इस अवसर पर होने वाली आतिशबाजी पर ही करीब 4 लाख रुपए रुपए का खर्च आने का अनुमान है।

हालांकि इस भव्य आतिशबाजी को निहारने के लिए पहले की तरह अब कोई आमजन मौजूद नहीं होगा। कुछ खास लाेगों की मौजूदगी की अनुमति है। रावण दहन सहित आतिशबाजी के कार्यक्रमों का एक स्थानीय न्यूज़ चैनल पर सीधा प्रसारण होगा जिसके जरिए आमजन इसका घर बैठे बैठे मजा ले पाएंगे।

हालांकि इस ऐतिहासिक परंपरा को जरूर निभाया जाएगा कि भगवान लक्ष्मी नाथ जी के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व कोटा रियासत के राजपरिवार के महाराज कुमार इज्यराज राज सिंह ही तीर चलाकर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन करेंगे।

इस मौके पर पूर्व राजपरिवार के आमंत्रित सदस्यों के अलावा कोटा नगर निगम के चुनिंदा अफसर और कर्मचारी सहित पुलिस और प्रशासन के कुछ अधिकारी मौजूद रहेंगे। नगर निगम चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लागू है इसलिए मंत्री तो क्या किसी और नेता को आमंत्रित करने का तो प्रश्न ही नहीं है।

रावण दहन से पूर्व पूरे राजसी ठाठ-बाट के साथ गढ़ पैलेस से पूर्व राजपरिवार के सदस्यों के साथ भगवान लक्ष्मीनाथ जी की लाव लश्कर सहित सवारी निकालने की ऐतिहासिक परंपरा रही है जिसे देखने के लिए हजारों लोग उमड़ते थे, लेकिन अब की बार के इस ऐतिहासिक विजयदशमी के मौके पर यह परंपरा भी टूटेगी।

विजयादशमी पर रावण दहन का आयोजन मुख्य रूप से वैसे तो कोटा में किशोरपुरा स्थित दशहरा मैदान में होता है, लेकिन नए कोटा शहर के श्रीनाथपुरम और रेलवे स्टेशन पर भी रावण दहन किया जाता रहा है।

इसके अलावा एक बड़े औद्योगिक घराने डीसीएम की ओर से भी भव्य तरीके से रावण दहन की परंपरा रही है और हमेशा से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन इस बार केवल दशहरा मैदान और श्रीनाथपुरम में ही रावण दहन होगा।

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