जयपुर। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के प्रधान महंत की गद्दी पर नरेशपुरी गोस्वामी को संतों और पंच-पटेलों ने सर्वसम्मति से चादर देकर गद्दी पर शनिवार को आसीन किया।
संत परंपरा के अनुसार पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान पूर्वक पूजा-अर्चना संपन्न कराई। इसके बाद सबसे पहले महंत परिवार, इसके बाद अयोध्या के हनुमानगढ़ी के संतों व 15 गांवों के प्रबुद्ध लोगों ने चादर ओढ़ाकर परम्परा निभाई।
पिछले दिनों 88 साल की उम्र में ब्रह्मलीन हुए किशोरपुरी महाराज 55 साल पहले मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के महंत की गद्दी पर बैठे थे। उनके पूर्ववर्ती महंत गणेशपुरी महाराज ने रामकिशोर गोस्वामी उपाख्य किशोरपुरी गोस्वामी को अपना उत्तराधिकारी चुना था। किशोरपुरी महाराज ने महंत की गद्दी संभालने के बाद वंश परंपरा के अनुसार 12 अक्टूबर 1979 को नरेशपुरी गोस्वामी को अपना उत्तराधिकारी चुना था।
महंत नरेशपुरी का जन्म 12 दिसंबर 1962 को पास के ही उदयपुरा गांव में रामस्वरूप गोस्वामी के घर हुआ था। इनकी माताजी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। पारिवारिक संस्कारों और माता-पिता की धार्मिक प्रवृत्ति के कारण ही नरेशपुरी गोस्वामी का मन भक्ति, धार्मिक साहित्य पठन, लेखन व भक्ति संगीत में रम गया। बाल्यकाल में ही माता के निधन के बाद उन्हें सांसारिक जीवन से विरक्ति हो गई।
भगवान श्रीराम को अपना आदर्श मानने वाले महंत नरेशपुरी गोस्वामी कहते हैं कि प्रभु श्रीराम का आदर्श चरित्र जन-जन के लिए अनुकरणीय है। हमें भगवान राम के आदर्श मूल्यों को आत्मसात करना होगा। तभी मनुष्य जीवन में कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। उनका कहना है कि हर घर में नई पीढ़ी को श्रीरामचरितमानस कथा नित्य पढ़नी चाहिए। इससे जीवन की हर समस्या का हल खोजा जा सकता है।