तियानजिन। भारत ने चीन के खिलाफ हैरतअंगेज़ वापसी करते हुए शनिवार को युगल और दोनों उलट एकल मैच जीतकर डेविस कप एशिया ओसनिया जोन ग्रुप एक का मुकाबला 3-2 से जीतते हुये लगातार पांचवें वर्ष विश्व ग्रुप प्लेऑफ में जगह बना ली जबकि 44 साल के पेस ने डेविस कप में सर्वाधिक युगल मैच जीतने का नया विश्व रिकार्ड कायम कर दिया।
चीन में विषम परिस्थितियों में भारत की यह जीत और पेस का विश्व रिकार्ड भारत के डेविस कप इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। भारत ने इसके साथ ही चीन के खिलाफ अपना डेविस कप 4-0 कर लिया है। पेस 2001 में चीन के हेवई में भारत को 3-2 से मिली जीत में सूत्रधार थे और उसके 17 वर्ष बाद 2018 में मिली 3-2 की जीत में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
भारत नये फार्मेट में खेले जा रहे डेविस कप के पहले दिन दोनों एकल मैच गंवाकर गहरे संकट में फंस गया था। लेकिन दूसरे दिन अनुभवी खिलाड़ियों लिएंडर पेस अौर रोहन बोपन्ना की जोड़ी ने महत्वपूर्ण युगल मैच जीतकर भारत को मुकाबले में वापिस लौटा दिया।
पेस और बोपन्ना की अनुभवी जोड़ी ने पहला सेट हारने के बावजूद गज़ब की वापसी करते हुये चीन के माओ शिन गोंग और जी झांग की जोड़ी को 5-7, 7-6, 7-6 से हराकर स्कोर 2-1 पहुंचा दिया। रामकुमार रामनाथन ने चौथे मैच में वू दी को 7-6, 6-3 से हराकर मुकाबले में 2-2 की बराबरी करा दी।
निर्णायक मैच में प्रजनेश गुणेश्वरन को सुमित नागल की जगह उतारने का गैर खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति का फैसला सटीक बैठा और प्रजनेश ने जूनियर यूएस ओपन चैंपियन रहे 18 साल के यीबिंग वू को 6-4, 6-2 से हराकर जीत भारत की झोली में डाल दी। भारत ने इसके साथ यह मुकाबला 3-2 से जीत लिया।
भारत के लिए इस मुकाबले में दोहरी उपलब्धि रही। एक तो भारत विश्व ग्रुप प्लेऑफ में पहुंचा और दूसरे पेस ने डेविस कप इतिहास में सर्वाधिक युगल मैच जीतने का नया रिकार्ड बना दिया। इसी के साथ पेस ने डेविस कप में भारत के लिये रिकार्ड 43वां युगल मैच जीत लिया जिससे वह टूर्नामेंट के इतिहास में सर्वाधिक युगल मैच जीतने वाले खिलाड़ी भी बन गए।
राष्ट्रीय जिम्मेदारी को हमेशा प्राथमिकता देने वाले पेस इस मैच से पहले तक इटली के निकोला पिएत्रांगली के साथ संयुक्त 42 युगल मैच जीत के साथ बराबरी पर थे। लेकिन इस मैच में जीत से उन्होंने इतालवी खिलाड़ी को पीछे छोड़ दिया। पेस ने वर्ष 1990 में जीशान अली के साथ डेविस कप पदार्पण किया था।
पेस ने अपने शानदार करियर में डेविस कप में अब तक कुल 91 मैच जीते हैं और 35 हारे हैं। उन्होंने एकल में 48 मैच जीते हैं और 22 हारे हैं जबकि युगल में उन्होंने 43 मैच जीते हैं और 13 हारे हैं। पैत्रांगली ने डेविस कप में कुल 120 मैच जीते हैं और 44 हारे हैं। उन्होंने एकल में 78 मैच जीते हैं और 32 हारे हैं जबकि युगल में उन्होंने 42 मैच जीते हैं और 12 हारे हैं।
अपने करियर के 56वें डेविस कप मुकाबला में खेल रहे पेस के साथ हालांकि दूसरे भारतीय खिलाड़ी हाल के वर्षाें में खेलने से कतराते रहे हैं लेकिन अखिल भारतीय टेनिस संघ के दबाव में 44 साल के पेस के साथ बोपन्ना को जोड़ी बनाने के लिये तैयार होना पड़ा।
पहला सेट हारने के बाद यह आशंका होने लगी थी कि भारत यह मुकाबला गंवा बैठेगा लेकिन भारतीय जोड़ी ने दूसरे सेट में वापसी की और इस सेट का टाईब्रेक 7-5 से जीत लिया। निर्णायक सेट भी टाईब्रेक में गया और भारतीय जोड़ी ने अपना तमाम अनुभव झोंकते हुए टाईब्रेक 7-3 से जीतकर भारत की उम्मीदों को कायम रखा।
भारतीय जोड़ी ने यह मैच दो घंटे 24 मिनट में जीता। दोनों भारतीय खिलाड़ियों ने मैच में चार डबल फाल्ट किये और नौ में से तीन बार विपक्षी चीनी जोड़ी की सर्विस ब्रेक की।
अपना पहला एकल मैच यीबिंग से गंवाने वाले रामकुमार ने चौथे मैच में जबरदस्त खेल का प्रदर्शन किया और उन्होंने एक घंटे 25 मिनट में दी वू को 7-6, 6-3 से पराजित कर दिया।
रामकुमार ने पहले सेट का टाईब्रेक 7-4 से जीतने के बाद चीनी खिलाड़ी पर दबाव बनाये रखा और उन्हें दूसरे सेट में वापसी करने का कोई मौका नहीं दिया।
निर्णायक सेट में भारतीय कप्तान भूपति ने विश्व रैंकिंग में 263वें नंबर के खिलाड़ी प्रजनेश को यीबिंग के खिलाफ उतार दिया। प्रजनेश ने भारत की उम्मीदों को कायम रखा और 6-4, 6-2 से यह मैच जीत लिया। प्रजनेश ने पहला सेट जीतने के बाद दूसरे सेट में 3-0 की बढ़त बनाकर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी। प्रजनेश के 6-2 से दूसरा सेट जीतते ही पूरा भारतीय खेमा खुशी से उछल पड़ा।
निश्चित रूप से यह एक अविश्वसनीय जीत थी। भारत ने इससे पहले 2010 में चेन्नई में ब्राजील के खिलाफ 0-2 से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए जीत हासिल की थी। भारत ने इस तरह लगातार पांचवें वर्ष विश्व ग्रुप प्लेऑफ में जगह बना ली।
भारत इससे पहले 2014 में सर्बिया से, 2015 में चेक गणराज्य से, 2016 में स्पेन से और 2017 में कनाडा से प्लेऑफ में हारा था। भारत आखिरी बार 16 देशों के विश्व ग्रुप में 2011 में खेला था जहां उसे पहले राउंड में सर्बिया से पराजय झेलनी पड़ी थी।