नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दिल्ली तलब करने के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के तेवर ढीले पड़ गए हैं और पार्टी नेतृत्व की आलोचना को अब पीड़ा कि अभिव्यक्ति बताते हुए उसे पार्टी हित में दिया बयान बता रहे हैं।
गांधी ने हरीश रावत तथा उत्तराखंड के अन्य बड़े कांग्रेस नेताओं को शुक्रवार को दिल्ली अपने आवास पर तलब कर हर नेता से अलग अलग बात की। इस क्रम में सबसे पहले हरीश रावत को अंदर बुलाया और उन्हें कड़ा संदेश दिया की वहां पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने में ही सबका हित है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के रुख को देखते हुए हरीश रावत के तेवर ढीले पड़ गए और उन्होंने आज कहा कि अपनी पीड़ा व्यक्त कर उन्होंने पार्टी के हित को साधने का काम किया है।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि गांधी ने असम से लेकर पंजाब तक रावत की भूमिका का हवाला देते हुए उन्हें तीखे अंदाज में कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस को हर हाल में जिताना है इसलिए किसी भी तरह बगावत बर्दाश्त नहीं कि जाएगी।
गौरतलब है के दो दिन पहले रावत का जैसे ही विरोधी स्वर गूंजा तो कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उन्हें तत्काल फोन किया। उसके बाद गांधी ने उन्हें तलब किया। कांग्रेस नेतृत्व की तत्परता को देखते हुए रावत भी संकेत समझ गए।
रावत के साथ जिन नेताओं को दिल्ली तलब किया गया उनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह पार्टी अध्यक्ष गणेश गोदियाल भाजपा से कांग्रेस में लौटे यशपाल आर्य सहित कई अन्य नेता शामिल थे।
इस बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने रावत पर टिप्पणी की है जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह में कांग्रेस छोड़ने की छटपटाहट है और मनीष तिवारी वही करते हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते हैं।
राहुल गांधी ने उत्तराखंड के नेताओं सख्ती से कहा ‘एकजुट होकर पार्टी को जिताना है’