नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रजत शर्मा का अपने पद से इस्तीफा लोकपाल ने मंजूर कर लिया है और इसके साथ ही उन्होंने डीडीसीए को अलविदा कह दिया है।
रजत शर्मा का डीडीसीए में डेढ़ साल से अधिक समय का कार्यकाल विवादों से भरपूर रहा और पिछले साल चुनाव होने के कुछ दिन बाद ही विरोधियों ने उनके खिलाफ माेर्चा खोल दिया था। शर्मा ने इस महीने 16 नवंबर को डीडीसीए में दबाव और राजनीति का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन इसके अगले ही दिन डीडीसीए के लोकपाल जस्टिस बदर दुरेज अहमद ने शर्मा को अपने पद पर बने रहने को कहा।
उसके लगभग 13 दिन बाद लोकपाल ने शर्मा का इस्तीफा मंजूर कर लिया। शर्मा ने लोकपाल को अपने ताजा इस्तीफे में कहा था कि वह उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दें। उन्होंने साथ ही कहा था कि वह इस संगठन में नहीं रहना चाहते जिसमें इतने विवाद चलते रहते हैं।
हाल ही में पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने अरूण जेटली स्टेडियम में अपने नाम के स्टैंड का अनावरण होने के बाद शर्मा पर आरोप लगाया था कि वह अपने अहंकार के चलते खिलाड़ियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
शर्मा ने लोकपाल को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैंने 16 नवंबर को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और उस समय तमाम कारण बताए थे कि मैं क्यों इस पद से इस्तीफा दे रहा हूं। लोकपाल के आदेश और उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद मैं इस पद पर बने रहने के लिए तैयार हूं लेकिन डीडीसीए के हालात ऐसे हैं जहां कोई अपना काम नहीं कर सकता। इस स्थिति में मेरे लिए अध्यक्ष पद पर बने रहना असंभव है।
रजत शर्मा के लगभग 20 महीने के कार्यकाल की एकमात्र बड़ी उपलब्धि यही रही कि राजधानी के फिरोज़शाह कोटला मैदान का नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली के नाम पर अरूण जेटली स्टेडियम रख दिया गया। इस दौरान उनके महासचिव विनोद तिहारा के साथ मतभेद सार्वजनिक होते रहे। हालांकि डीडीसीए के चुनाव में शर्मा और तिहारा कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे।
तिहारा को डीडीसीए की कार्यकारी समिति ने अनुशासन आधार पर निलंबित भी किया था जिसे उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। तिहारा और शर्मा के बीच संबंध लगातार खराब होते चले गए और डीडीसीए की शीर्ष परिषद ने भी शर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
लोकपाल के 17 नवंबर को शर्मा के पद पर बने रहने के निर्देश को शीर्ष परिषद ने ठुकरा दिया था और कहा था कि शर्मा को अब पद पर बने रहने का हक नहीं है। गौतम गंभीर स्टैंड के अनावरण के समय भी यह मतभेद खुलकर सामने आए थे। शर्मा इस अनावरण के समय मौजूद नहीं थे जबकि गंभीर के साथ मौजूद संयुक्त सचिव राजन मनचंदा ने शर्मा की खुलकर आलोचना की थी।