जयपुर। राजस्थान विधान सभा चुनाव में नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट सहित 2684 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। इनमें वसुंधरा सरकार के चार मंत्रियों, कई विधायक तथा पूर्व विधायक एवं दिग्गज नेताओं ने भाजपा तथा कांग्रेस उम्मीदवारों को मुश्किल में डाल दिया है।
वसुंधरा सरकार में मंत्री राजकुमार रिणवां रतनगढ़ से, सुरेन्द्र गोयल जैतारण से, हेमसिंह भडाना थानागाजी से तथा धनसिंह रावत बांसवाड़ा से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के सामने चुनाव मैदान में है।
इनके अलावा विधायक अनिता कटारा सागवाड़ा से और देवेन्द्र कटारा डूगंरपुर से तथा नवनीत लाल निनामा घाटोल से किसना राम नाई श्रीडूगंरगढ़ से टिकट नहीं मिलने के बावजूद चुनाव मैदान में है। इसके अलावा कई छोटे मोटे नेता भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है।
कांग्रेस में पूर्व केन्द्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला से पूर्व मंत्री बाबु लाल नागर दूदू से ,पूर्व विधायक सीएस वैद तारानगर से एवं कांग्रेस के पिछली बार के प्रत्याशी विक्रम सिंह झोटवाड़ा से आलाेक शाहपुरा से तथा नाथूराम सिनोदिया किशनगढ़ से चुनाव लड़ रहे है।
कांग्रेस को अजमेर से ललित भाटी मसूदा से ब्रह्मदेव कुमावत नागौर से कृपाराम आदर्श नगर से पप्पू कुरेशी मालपुरा से सुरेश गुर्जर सहित कई नेताओं को चुनाव मैदान से हटाने में सफलता मिली है।
इसी तरह भाजपा को सांगानेर से ज्ञानदेव आहुजा लाडपुरा से भवानी सिंह राजावत, कोटा दक्षिण से प्राची दीक्षित को हटाने में सफलता मिली है। आहुजा को चुनाव मैदान से हटने पर पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने का इनाम भी दिया है।
दोनो पार्टियों के नेता अधिकृत प्र्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव मैदान में खड़े विद्रोही उम्मीदवारों को बिठाने का अभी भी प्रयास कर रहे है। दोनों ही दल एक दूसरे पर आराेप प्रत्यारोप लगाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
चुनाव में भाजपा सभी 200 सीटों पर, कांग्रेस 5 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़कर 195 सीटों पर चुनाव लड़ रही है इसके अलावा भारत वाहिनी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और मार्क्सवादी पार्टी सहित काफी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।