नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सात लोगों की हत्या के गुनहगार प्रेमी युगल शबनम सलीम की फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शबनम सलीम की पुनर्विचार याचिकाओं पर सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
इससे पहले न्यायालय ने फांसी की सजा को दांव पेंच में उलझाने की बढ़ती घटनाओं को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे मामलों को अंतहीन मुकदमों में नहीं फंसाया जा सकता।
न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि फांसी की सजा पर अमल के मामलों को अंतहीन मुकदमों में नहीं फंसाया जा सकता। शीर्ष अदालत शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में 15 अप्रेल 2008 को शबनम और उसके प्रेमी सलीम ने मिलकर शबनम के घर में उसके परिवार के सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। मरने वालों में शबनम के मां-बाप, उसके दो भाई, उसकी एक भाभी, उसकी मौसी की बेटी और शबनम का एक भतीजा यानी एक बच्चा था।
यह मामला शबनम और सलीम की प्रेम कहानी का है। शबनम के परिवार को इन दोनों का ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था। विरोध में शबनम ने मौका देखकर और सलीम के साथ प्लानिंग कर इन सात लोगों की हत्या कर दी थी।
पहले इन दोनों ने सबके खाने में कुछ मिलाया और उसके बाद एक धारदार कुल्हाड़ी से एक के बाद एक, पूरे परिवार की हत्या कर दी थी। जिस एक इंसान के साथ शबनम उस रात लगातार कॉल में थी वह दरअसल सलीम ही था।
सलीम ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया था और वह कुल्हाड़ी, जिससे क़त्ल किया गया था, वह भी ठीक उसी जगह मिली जहां उसने बताई थी।
शीर्ष अदालत ने निचली अदालतों द्वारा दी गई उसकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था। उसके बाद शबनम ने राष्ट्रपति से सज़ा माफ़ी की भी गुहार की, लेकिन घटना की वीभत्सता को देखते हुए उसकी क्षमायाचना तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अस्वीकार कर दी थी।