जम्मू। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल अगले सप्ताह समाप्त हो रहा है लेकिन श्रीअमरनाथ की वार्षिक यात्रा पूरी होने तक वह अपने पद पर बने रहेंगे और इसके बाद इस पद की जिम्मेदारी पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा को दी जा सकती है।
शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वोहरा का कार्यकाल जून के आखिर में समाप्त होगा, लेकिन वह इस पद पर बने रहेंगे क्योंकि 28 जून से श्री अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। इस दौरान केंद्र सरकार उनकी जगह किसी नए चेहरे को लाने की जोखिम नहीं उठा सकती है।
सूत्रों ने बताया कि वोहरा 28 जून से 26 अगस्त यानी 58 दिनों तक चलने वाली श्री अमरनाथ यात्रा तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार वोहरा के लंबे अनुभव को देखते हुए उन्हें वार्षिक तीर्थ यात्रा का प्रभारी बनाना चाहती है।
बारह नवंबर 1956 को जन्मे जनरल हुड्डा को कश्मीर मामलों में विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने न केवल नगरोटा स्थित व्हाइट नाइट (16 कोर) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के तौर पर काम किया है बल्कि उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन चीफ भी रहे हैं। वह इस पद पर सितंबर 2016 में पाकिस्तानी सीमा के भीतर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के समय तक थे।
वोहरा का जन्म पांच मई 1936 में हुआ था और वह भारतीय प्रशासनिक सेवा केे 1959 बैच के पंजाब काडर के अधिकारी थे। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय जून 2008 में पहली बार उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था और वर्ष 2013 में उन्हें दोबारा इस पद पर नियुक्त किया गया।
इस वर्ष घाटी की बिगड़ती स्थिति के कारण खतरे की आशंका अधिक है। इसलिए वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए जा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने राज्यपाल के लिए पांच लोगों के नाम का चयन किया था जिसमें लेफ्टिनेंट डीएस हुड्डा, मेजर जनरल जीडी बशी, लेफ्टिनेंट जनरल अता हसनैन, जनरल बिक्रमजीत सिंह (सभी सेवा निवृत सैन्य अधिकारी) और दिनेश्वर शर्मा शामिल थे जिन्हें केन्द्र ने जम्मू कश्मीर मामले में विशेष वार्ताकार नियुक्त किया है।
सूत्रों ने कहा कि जानकारी मिली है कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के अगले राज्यपाल के लिए लेफ्टिनेंट (सेवा निवृत) डीएस हुड्डा का चुनाव किया है लेकिन वह श्री अमरनाथ यात्रा समाप्त होने के बाद ही पद ग्रहण करेंगे।
लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा को कश्मीर मामलों पर विशेषज्ञता हासिल है और वह मानवाधिकारों पर अधिक जोर देते हैं। चालीस वर्ष के अपने सेवा काल में उन्होंने भारत की उत्तरी तथा पूर्वी सीमाओं पर काम किया है।
पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के छात्र रहे हुड्डा 15 दिसंबर 1976 को भारतीय सेना भर्ती हुए थे। उन्होंने अपने शुरुआती सेवा काल में चौथी गोरखा राइफल की चौथी बटालियन में काम किया और बाद में उसका नेतृत्व किया। भारतीय सेना में 40 वर्षों तक सेवा करने के बाद 30 नवंबर 2016 को वह सेवा निवृत हुए थे।