नई दिल्ली। राजधानी की एक निचली अदालत ने बॉलीवुड फिल्म ‘न्यूटन’ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को नकारात्मक परिप्रेक्ष्य में पेश किए जाने को लेकर दायर याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है।
सीआरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर तमल सान्याल ने फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500, 501, 502 और 34 के तहत आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया है।
कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अमित अरोड़ा ने कल आपराधिक मानहानि मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और आरोपियों को तलब करने से पहले साक्ष्य उपलब्ध कराने के वास्ते 19 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वैभव कालरा और नेहा भटनागर ने दलील दी कि फिल्म निर्माताओं ने न्यूटन फिल्म में सीआरपीएफ की छवि खराब की है। उन्होंने अदालत को यह विस्तार से बताया कि निर्माताओं ने इस मामले में क्या-क्या गलतियां की हैं, जिससे सीआरपीएफ की छवि को गहरा धक्का लगा है।
अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं जवानों के विभिन्न संगठनों के अम्ब्रेला ऑर्गेनाइजेशन ‘नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने इस मामले में सान्याल की याचिका का समर्थन किया है और समिति को इसमें पक्षकार बनाने का भी अनुरोध किया है।
समिति के अध्यक्ष वीपीएस पंवार है, जो सीआरपीएफ के पूर्व महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सान्याल ने मानहानि का एक दीवानी मामला भी दर्ज कराया है, जिस पर अभी सुनवाई शुरू नहीं हुई है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि फिल्म में सीआरपीएफ को नीचा दिखाया गया है, जबकि यह अर्द्धसैनिक बल हर मौके पर खरा उतरा है। निर्माताओं ने फिल्म शुरू होने से पहले कोई स्पष्टीकरण (डिस्क्लेमर) भी नहीं दिया है।