नई दिल्ली। चीन के साथ तनातनी के बीच सरकार ने तीनों सेनाओं को जरूरी हथियारों और लड़ाकू विमानों से लैस करने के लिए 38 हजार रूपये से अधिक के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज यहां हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में सशस्त्र सेनाओं के लिए कुल 38 हजार 900 करोड़ रूपये की रक्षा खरीद के सौदों को हरी झंडी दिखायी गयी। वायु सेना के लिए 21 मिग -29 विमानों की खरीद के साथ साथ मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को उन्नत बनाने की मंजूरी भी दी गई है।
इसके अलावा 12 सुखोई 30 विमान भी खरीदे जाएंगे। मिग-29 की रूस से खरीद और विमानों को उन्नत बनाने में 7418 करोड रूपए की लागत आयेगी जबकि 30 सुखोई विमान एचएएल से खरीदे जायेंगे जिनपर 10730 करोड़ रूपए की लागत आएगी।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आत्म निर्भर भारत को बढावा देने के लिए आज के कुल सौदों में से 31 हजार 130 करोड़ रूपए की खरीद देश के रक्षा उद्योगों से की जाएगी। खरीदे जाने वाले साजो सामान का डिजायन और विकास देश में ही किया जाएगा और इनमें छोटी औद्योगिक इकाईयों की प्रमुख भूमिका होगी। इन उपकरणों में से कुछ में लागत के 80 प्रतिशत कलपुर्जे स्वदेशी होंगे। ये साजो सामान देश के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ द्वारा हस्तांतरित प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे।
इन उपकरणों में सेना के लिए पिनाका राकेट लांचर, बीएमपी के लिए अस्त्र शस्त्र और सॉफ्टवेयर आधारित रेडियो तथा नौसेना और वायुसेना के लिए लंबी दूरी तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल प्रणाली शामिल है। इन पर 20 हजार 400 करोड़ रूपए की लागत आने की संभावना है।
नई मिसाइल प्रणाली की खरीद से तीनों सेनाओं की मारक क्षमता बढेगी। पिनाका की खरीद से सेना में अतिरिक्त रेजिमेंट खड़ी की जा सकेगी। नई मिसाइल प्रणाली की मारक क्षमता 1000 किलोमीटर होगी और इससे वायु सेना तथा नौसेना की प्रहार करने की शक्ति बढेगी।
वायु सेना की लड़ाकू विमानों की जरूरत को पूरा करने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने 21 मिग -29 विमानों की खरीद और मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को उन्नत बनाने की मंजूरी भी दी है। इसके अलावा 12 सुखोई 30 विमान भी खरीदे जाएंगे।