अमृतसर | पंजाब के लगभग 1600 गैर सहायता प्राप्त कालेजों और 14 संगठनों की संयुक्त कार्रवाई कमेटी (जैक) के अध्यक्ष अश्वनी सेखरी ने बुधवार को कहा कि 1600 करोड़ रुपये के पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पीएमएस) के वितरण में देरी के परिणामस्वरूप कॉलेजों को सैंकड़ों एनपीए खातों, चैक बाउंसिंग मामलों, संस्थानों की नीलामी, सोसायटी और ट्रस्ट के सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही, वेतन में देरी और गैर सहायता प्राप्त कालेजों के प्रबंधन और स्टॉफ को वित्तीय और मानसिक तनाव से जुझना पड़ रहा है।
पॉलीटेक्नीक एसोसिएशन के महासचिव राजिन्द्र धनोवा ने कहा कि गैर सहायता प्राप्त कॉलेज जब 3 महीनों तक बैंक ऋण का भुगतान नहीं करते, तो देय राशि एनपीए घोषित कर दी जाती है और बैंक कॉलेज / ट्रस्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना शुरू कर देते हैं। दूसरी तरफ पिछले तीन सालों से कालेजों को सरकार से पीएमएस के लिए स्वीकृत बकाया राशि नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों से 1600 करोड़ से अधिक की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है जिसके परिणामस्वरूप कई अच्छे कॉलेजों के खाते एनपीए खातों में तबदील हो गए है। इन सभी तनावों के लिए सरकार जिम्मेदार है।
बी.एड फैडरेशन के प्रधान जगजीत सिंह ने कहा कि पहले पंजाब के विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दक्षिण भारत के राज्यों में जाते थे। परन्तु पंजाब के उद्यमी पंजाब को एजुकेशन हब बनाने के लिए निजी फाईनेंसरों से भारी कर्ज ले रहे हैं और अब इस भयानक चरण से एजुकेशन सेक्टर को बचाने के लिए सरकार को तुरन्त ध्यान देना होगा।
जैक अध्यक्ष सेखरी ने केन्द्र सरकार से 1600 करोड़ की बकाया पीएमएस राशि को जारी करने की गुहार लगायी है। उन्होंने कहा कि जैक 21 जून को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्द्र सिंह से मिलेगी और पंजाब के बंद हो रहे 1600 गैर सहायता प्राप्त शिक्षा संस्थानों को बचाने के लिए फंड को जल्दी रीलीज करवाने के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव डालने और हस्तक्षेप करने के लिए गुहार लगाएगी।