नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए आठ फरवरी को होने वाले मतदान के लिए एक पखवाड़े से अधिक समय से जोर-शोर से चल रहा चुनाव प्रचार गुरुवार शाम छह बजे समाप्त हो गया।
प्रचार अभियान शुय में सुस्त था, लेकिन विभिन्न पार्टियों केे बड़े नेताओं के मैदान में आने से यह खूब जोरों से चला। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों से शुरू हुआ प्रचार अंतिम दौर में पहुंचते-पंहुचते राष्ट्रवाद और सांप्र्रदायिकता के रंग में रंग गया। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीनबाग में चल रहा धरना प्रदर्शन प्रचार का मुख्य केंद्र बन गया। नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला इतना तेज और आक्रामक हो गया कि चुनाव आयाेग को हस्तक्षेप करना पड़ा।
इस बार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) जहां अपनी सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अगुवाई में जुटी रही। वहीं 21 वर्ष से दिल्ली की सत्ता से दूर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी पूरी ताकत झोंक दी। पंद्रह वर्ष तक दिल्ली पर एकछत्र राज्य करने वाली कांग्रेस ने भी अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
छह जनवरी को चुनावों की घोषणा के बाद से आप पार्टी राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में वर्ष 2015 के ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहराने के लिए जुट गई। पार्टी ने इस बार 15 विधायकों के टिकट काटे जबकि 47 को फिर से उम्मीदवार बनाया। शेष पांच विधायकों में कुछ भाजपा में शामिल होकर चुनाव मैदान में हैं। टिकट नहीं मिलने से कई विधायक बागी होकर बसपा और कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं।
केजरीवाल के सामने 2015 में पार्टी को मिली 70 में से 67 सीटों के इतिहास को दोहराने की बड़ी चुनौती है। तीन सीटों पर सिमटी भाजपा सरकार बनाने के लिए प्रयासरत है तो कांग्रेस भी खोई जमीन हासिल करने के लिए जुटी हुई है।
भाजपा ने जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव अभियान की बागडोर संभाली और एक दिन में कई चुनाव सभाएं और रोड शो कर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा। बीस जनवरी को पार्टी के अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद जगत प्रकाश नड्ढा भी दिन रात एक किए हुए हैं। वह भी रोजाना कई सभाएं और विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में रोड शो कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हुए हैं। पार्टी ने इस बार मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं उतारा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में पूर्वी दिल्ली और द्वारका में रैली की। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के अलावा अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद और अन्य नेता पूरे प्रचार अभियान के दौरान जुटे रहे और रोजाना कई नुक्कड़ सभाओं और रोड शो में हिस्सा लिया।
कांग्रेस की तरफ से आखिरी के दिनों में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया। इसके अलावा पार्टी के अन्य नेताओं के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी प्रचार में हिस्सा लिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सभाओं को संबोधित किया।
आप पार्टी के प्रचार अभियान में पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों के अलावा बिजली-पानी फ्री और दिल्ली परिवहन निगम की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा का जोर रहा। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में सत्ता में आने पर वर्तमान में जारी योजनाओं को जारी रखने के साथ ही गरीबों को दो रुपए प्रति किलोग्राम आटा, कालेज जाने वाली गरीब लड़कियों को इलेक्ट्रानिक स्कूटी, अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने को केंद्र में रखा। भाजपा ने प्रचार के दौरान केजरीवाल सरकार की कमजोरियों के साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यों और मोदी की छवि को भुनाने का प्रयास किया।
कांग्रेस ने दिवंगत मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के 15 वर्ष के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में किए गए विकास कार्यों के उल्लेख के साथ ही सत्ता में आने पर 300 यूनिट मासिक उपभोक्ता को बिजली फ्री के साथ ही छोटे दुकानदारों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने जैसे लोक लुभावने वादे किए हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल को विवादित बयान देने पर चुनाव आयोग की तरफ से चेतावनी दी गई। पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को आपत्तिजनक बयानों की वजह से चुनाव प्रचार पर दो बार प्रतिबंध झेलना पड़ा। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर पर भी आपत्तिजनक बयान के लिए 72 घंटे चुनाव प्रचार पर रोक लगाई गई।
इसके अलावा छह जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग की अवांछनीय गतिविधियों पर पैनी नजर रही और विभिन्न एजेंसियों ने करीब 53 करोड रुपए मूल्य की नकदी, सोना-चांदी,शराब और नशीले पदार्थ जप्त किए। दस करोड़ रुपए से अधिक की तो नकदी ही जब्त की गई है।
केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा से लगातार तीसरे बार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर सबसे अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला केजरीवाल, भाजपा के सुनील यादव और कांग्रेस के रमेश सब्बरवाल के बीच है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसाेदिया भी तीसरी बार फिर पटपड़गंज से चुनाव मैदान में है, जहां उनकी मुख्य टक्कर भाजपा के रवि नेगी और कांग्रेस के लक्ष्मण रावत से है। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल भी शाहदरा से त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं।
इस बार के चुनाव में कुल एक करोड़ 47 लाख 86 हजार 382 वोटर हैं जिनमें से 147 मतदाता 100 या इससे अधिक आयु के हैं। इस बार कुल 672 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जिसमें पुरुष 593 और महिलाएं 79 हैं। दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि कुल मतदाताओं में पुरुष वोटरों की संख्या 81 लाख पांच हजार 236 और महिला मतदाता 66 लाख 80 हजार 277 हैं।
सेवा से जुड़े मतदाताओं की संख्या 11 हजार 608 और किन्नर वोटर 869 हैं। अस्सी वर्ष से अधिक के मतदाताओं की संख्या दो लाख चार हजार 830 हैं। दिव्यांग मतदाता 50 हजार 473 हैं। व्हील चेयर मतदाताओं की संख्या 3875 है। दिव्यांग मतदाताओं को मतदान में सुविधा के लिए नो हजार 997 वालिंटयर तैनात किए जायेंगे।
कुल मतदान केंद्रों की संख्या 13571 है जो 2688 स्थानों पर स्थित है। संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या 3141 है। खर्चे से जुड़े संवेदनशील पाकेट्स की संख्या 102 है।
मतदान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए 10 लाख से अधिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं। मतदान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष हो इसके लिए सुरक्षा के भी कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। दिल्ली पुलिस के 38 हजार 874 और होम गार्ड के 19 हजार जवान तैनात किए जायेंगे।
मतदान शनिवार सुबह आठ बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक चलेगा। मतगणना 11 फरवरी को होगी।