नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपनी पब्लिसिटी के लिए विज्ञापनों पर करदाताओं के 2500-3000 करोड़ खर्च कर दिए हैं और अब अपने कर्मचारियों के वेतन के लिए केन्द्र सरकार से 5000 करोड़ रुपए की भीख मांग रहे है।
कुमार ने सोमवार को कहा कि यदि दिल्ली सरकार ने सरकारी खजाने के सही वित्तीय प्रबंधन के साथ इस बेबुनियादी खर्चे पर अंकुश लगाया होता तो कोविड-19 लॉकडाउन महामारी संकट के समय में सरकार के राजस्व संग्रह में मदद मिलती।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल द्वारा लॉकडाउन नियमों में ढील देने का परिणाम यह हुआ कि दिन प्रतिदिन कोरोना मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने विवेक से फैसले न लेकर सब कुछ केन्द्र सरकार के इशारे पर कर रहे है और दिल्ली के बॉर्डरों को बिना सोचे समझे सील कर दिया जबकि कईं लोग दिल्ली में दूसरे राज्यों से काम करने के लिए आते है और जाते हैं। इससे बार्डर पर अराजकता की स्थिति पैदा उत्पन्न हो गई है, और अब वह इस बारे में लोगों से सुझाव मांग रहे हैं, जबकि उन्होंने कभी अपने विधायकों, विपक्षी पार्टियों या किसी अन्य से चर्चा इस पर चर्चा नहीं की।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल पूरी तरह भ्रमित है, उन्हें यह मालूम नहीं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को कैसे रोकना है। उन्होंने कहा कि जब शराब की दुकानें खोली गई तो केजरीवाल ने किसी से सुझाव नहीं लिए और जब शराब की प्रति बोतल पर कोरोना टैक्स लगाया था, उस समय भी उन्होंने लोगों से सुझाव नहीं मांगे थे। अब जब स्थिति दिल्ली सरकार के हाथ से निकल चुकी है तो वह लोगों से सुझाव मांग रहे हैं, ताकि अपनी सरकार की प्रशासनिक विफलताओं का ठीकरा लोगों के सिर पर फोड सकें।
चौधरी कुमार ने कहा कि केजरीवाल सरकार की इन्हीं विफलताओं को देखते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी सोशल मीडिया विभाग ने आज फेलकेजरीवालसरकार नाम से अभियान चलाया, जो लगभग पांच घंटे तक ट्वीटर पर ट्रेंड किया। इस अभियान में दिल्ली के लोगों ने केजरीवाल सरकार की विफलताओं पर चर्चा की, जिसमें लगभग 20 हजार लोगों ने अपने मतों को ट्वीट किया है।