नई दिल्ली। पाकिस्तान के इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में तैनात रहीं डिप्लोमैट माधुरी गुप्ता को दिल्ली की पटिलाया हाउस कोर्ट ने नियुक्ति के दौरान ISI को भारत की खुफिया जानकारियां देने का दोषी करार दिया है। माधुरी की गिरफ्तारी के 10 साल बाद यह फैसला आया है, जिसमें माधुरी को अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।
माधुरी की सजा की अवधि पर कोर्ट में अभी बहस होनी है। माधुरी पहले ही 21 महीने की सजा काट चुकी हैं। आज दोनों पक्षों के वकील सजा कितनी होनी चाहिए इस पर बहस करेंगे।
एडिशनल सेशन जज सिद्धार्थ शर्मा की बेंच ने माधुरी गुप्ता को जासूसी और गलत ढंग से सूचना पहुंचाने के आरोपों के लिए आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत दोषी ठहराया है।
माधुरी इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव (प्रेस और सूचना) के पद पर नियुक्त थीं, जब उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भारत की गुप्त जानकारियां देने के आरोप में 22 अप्रेल 2010 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। इसके तत्काल बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
माधुरी गुप्ता पर पाकिस्तानी अधिकारियों को गुप्त सूचना मुहैया कराने और आईएसआई के दो अधिकारियों मुबशर राजा राणा और जमशेद के संपर्क में रहने का आरोप था। जनवरी 2012 में दिल्ली की अदालत ने उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया था।
इस महिला राजनयिक पर विश्वास को ठेस पहुंचाने, आपराधिक साजिश और इस अधिनियम के कई प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए हैं। माधुरी पर मुकदमा 22 मार्च 2012 से शुरू हुआ था।
उन पर आरोप लगा था कि माधुरी ने कई गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान के अधिकारियों को दीं और वह आईएसआई के दो अधिकारियों, मुबशार रजा राणा और जमशेद के संपर्क में थीं। इतना ही नहीं बल्कि जुलाई 2010 में माधुरी के खिलाफ दायर आरोपपत्र में कहा गया था कि माधुरी के जमशेद के साथ संबंध थे और माधुरी ने उससे शादी करने की योजना बनाई थी।