नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे ऑक्सीजन की जरुरतों के लिए केन्द्र सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारियों से संपर्क करें।
केन्द्र सरकार की ओर से ऑक्सीजन सुनिश्चित करने के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाने के बारे में न्यायालय को सूचित किए जाने के बाद यह फैसला आया है।
न्यायालय कोविड -19 के मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति किये जाने में अदालत के हस्तक्षेप के आग्रह की ब्रह्म हेल्थकेयर और बत्रा अस्पताल की ओर से दाखिल याचिका पर सुनावाई कर रहा था। पिछले कुछ दिनों में सांस में तकलीफ वाले कोरोना मरीजों की अचानक हुई वृद्धि के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था चरमरा गई और मेडिकल ऑक्सीजन का मामला विवादों में घिर गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए आज हुई बैठक की जानकारी दी जिसमें मोदी ने राज्यों को कोरोना से जंग में एकजुट होने दवा तथा ऑक्सीजन की मुफ्त ढुलाई में हस्तक्षेप करने से बचने को कहा।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऑक्सीजन की ढुलाई में हम अर्द्धसैनिक बलों को नहीं लगा सकते। संवैधानिक रुप से ऐसा नहीं किया जा सकता। राज्य पुलिस और केन्द्रीय बलों में टकराव हो सकता है। इस मामले को सुलझाने के लिए ब्यूरोक्रेसी स्तर पर प्रबंध किया गया है।
न्यायालय ने दिल्ली सरकार को ऐसे टेलीफोन नंबर जारी करके का सुझाव दिया जिस पर कोविड-19 अस्पताल सरकार से सीधे संपर्क कर सकें। न्यायालय ने नोडल अधिकारियों पर भार काम करने के लिए अन्य अधिकारी भी नियुक्त किए जाने की सलाह दी।