Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
दिल्ली हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों पर केन्द्र से मांगा जवाब - Sabguru News
होम Delhi दिल्ली हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों पर केन्द्र से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों पर केन्द्र से मांगा जवाब

0
दिल्ली हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों पर केन्द्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने डिजिटल मीडिया को विनियमित करने वाले नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केन्द्र से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने इंडियन न्यूज और विचारों से संबंधित वेबसाइट-‘द वायर’ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को केन्द्र से जवाब मांगा और इस मामले की सुनवाई अब 16 अप्रैल को होगी।

‘द वायर’ पर स्वामित्व रखने वाले ट्रस्ट ‘फाउंडेशन फॅार इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट’ और इसके संस्थापक संपादक एम के वेनु तथा ‘द लास्ट मिनट’ के एडीटर इन चीफ धन्य राजेन्द्रन ने अपनी याचिका में कहा है कि यह कानून समाचार पत्रों और संवाद समितियों को बिल्कुल भी मान्यता नहीं देता है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामाकृष्णन ने दलील दी कि नए आईटी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम 2021, डिजिटल समाचार मीडिया को नियंत्रित करने और विनियमित करने के लिहाज से ‘गैरकानूनी रूप से अवैध’ है, जबकि मूल कानून में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस कानून की धारा 69ए को तभी लगाया जा सकता है जब वर्णित बातों का उल्लंघन किया जाए और इसमें मानहानि, कही सुनी बातों को शामिल नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून में जिस अंतर विभागीय समिति की स्थापना की बात कही गई है, उसे कोड ऑफ एथिक्स के अनुपालन में शिकायतें सुनने तथा किसी भी सामग्री को हटाने, इसमें बदलाव करने और इसे ब्लाक करने संबंधी सिफारिश सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को करना काफी निरंकुशता भरा उपाय है।

सरकार का इसे लेकर कहना है,‘दुरुपयोग और हिंसा’ के प्रति सोशल मीडिया और अन्य कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के नए नियमों की आवश्यकता है। ये नियम 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की अनिवार्यता और भारत में कानून प्रवर्तन में सहयोग करने के लिए कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्त करने के निर्देश देते हैं।