नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2009 के जिगिशा घोष हत्या मामले में दोषी करार दिए दो अपराधियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। न्यायाधीश एस.मुरलीधर व न्यायाधीश आईएस मेहता की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा रवि कपूर व अमित शुक्ला को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले के सभी पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए अदालत इस बात से संतुष्ट नहीं है कि यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम है और इसके लिए कपूर व शुक्ला को मौत की सजा दी जाए।
न्यायाधीशों ने कहा कि अदालत कपूर व शुक्ला को आईपीसी की धारा 302/34 के तहत (इरादतन हत्या) दी गई सजा को संशोधित कर उम्रकैद में बदलती है। दो आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने 14 जुलाई, 2016 को आईटी अधिकारी जिगिशा घोष की हत्या व दूसरे आरोपों के लिए दोनों को दोषी ठहराया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह साफ नहीं है कि तीन आरोपियों में से किस आरोपी ने या सभी ने जिगिशा की हत्या की थी।
28 वर्षीय जिगिशा नोएडा में हैवलट पैकर्ड लिमिटेड कंपनी में संचालन प्रबंधक थी। कार्यालय के वाहन द्वारा जिगिशा को सुबह चार बजे घर छोड़े जाने के बाद उसका अपहरण किया गया था।
निचली अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा था कि 28 वर्षीय महिला की ‘निर्मम व अमानवीय तरीके’ से हत्या की गई।
निचली अदालत ने कहा था कि दोषियों द्वारा की गई क्रूरता वाला यह मामला दुर्लभ है और इस कारण दोनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई। अदालत ने तीसरे अपराधी बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
जिगिशा से हत्या के दिन उसके सोने के गहने, दो मोबाइल फोन व डेबिट व क्रेडिट कार्ड भी लूट लिए गए थे। जिगिशा का शव उसके वसंत विहार स्थित घर से करीब 20 किमी दूर हरियाणा में सूरजकुंड के पास से बरामद किया गया।
पुलिस ने तीनों अपराधियों को एक हफ्ते के भीतर उनके डिजिटल फुटप्रिंट के जरिए गिरफ्तार किया था। संदिग्धों ने दिल्ली के सरोजनी नगर मार्केट में घोष के एटीएम कार्ड का इस्तेमाल महंगे चश्मे, घड़ियां व जूते खरीदने के लिए किया था।
पुलिस ने उन्हें सीसीटीवी फुटेज से पहचान के बाद पकड़ा था। खरीदारी के दौरान दुकान के कैमरे में कैद होने के बाद मलिक के हाथ पर बने टैटू ने गिरोह का पर्दाफाश कर दिया।
निचली अदालत ने तीनों को भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। इसमें हत्या, हत्या के लिए अपहरण, साक्ष्यों को नुकसान, लूट के दौरान जानबूझकर चोट पहुंचाने, धोखाधड़ी व नकली दस्तावेज की धाराएं शामिल हैं।
इस मामले में पुलिस ने जून 2009 में आरोप पत्र दाखिल किया था। पुलिस ने कहा कि घोष के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि उसकी गला घोंटकर हत्या की गई थी। इस मामले में अदालती कार्रवाई अप्रैल 2010 में शुरू हुई।