नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने राजधानी के नांगल इलाके में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में शनिवार को आरोप पत्र दाखिल कर दिया। उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों ने कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए थे और उनके बीच परस्पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को 30 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था, ताकि पीड़ित परिवार को त्वरित न्याय मिल सके। वक्तव्य में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की महिलाओं और बच्चियों के ख़िलाफ अपराध और दुष्कर्म मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस और अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देने के लिए त्वरित कार्रवाई की कटिबद्धता को दर्शाता है।
इस मामले में गत दो अगस्त को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302, 304, 376डी, 342, 506, 201, 34, 6 पॉस्को अधिनियम और 3 एससी/एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पटियाला हाउस अदालत में 400 पन्नों का आरोपपत्र दाख़िल किया, जिस पर सुनवाई 31 अगस्त को होगी।
इस मामले को पांच अगस्त, को दिल्ली कैंट पुलिस स्टेशन से अपराध शाखा को स्थानांतरित किया गया था, जिसके बाद कुशल और त्वरित तरीक़े से मामले की जांच के लिए मोनिका भारद्वाज, डीसीपी (अपराध) की अगुआई में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया, जिसमें एसीपी संदीप लांबा, एसीपी रिछपाल सिंह, इंस्पेक्टर नीरज, सब-इंस्पेक्टर अनुज शामिल थे।
मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, चारों आरोपियों के ख़िलाफ़, जो फ़िलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, 30 दिन के भीतर आरोपपत्र दाख़िल किया गया है। शाह ने निर्देश दिए थे कि मामले की जांच तेज़ गति से पूरी हो और 30 दिन के अंदर आरोप पत्र दाख़िल किया जाए ताकि पीड़ित परिवार को त्वरित न्याय मिल सके। इसके बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा की थी और दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज होने के 30 दिन के अंदर आरोप पत्र दाख़िल करने की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसके बाद त्वरित अदालत में मामले की सुनवाई होगी।
जांच के दौरान, वैज्ञानिक, तकनीकी और अन्य प्रमाणों को एकत्रित करके उनका विश्लेषण किया गया और संबद्ध गवाहों के बयान दर्ज किए गए। इसके अलावा, रोहिणी स्थित फ़ॉरेन्सिक साइंस लैबोरेटरी और दिल्ली पुलिस के बायोलॉजी और ओडॉन्टोलॉजी विशेषज्ञों की भी मदद ली गई। आरोपियों से पूछताछ के दौरान फ़ॉरेन्सिक सायकोलॉजिस्ट की भी सहायता ली गई। पर्याप्त सुबूत एकत्रित करने के बाद अदालत में आरोप पत्र दाख़िल किया गया है।