नई दिल्ली। पुलिस की शान समझी जाने वाली खाकी वर्दी से लोगों को काफी अपेक्षाए होती हैं और यही बात मंगलवार को पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने पुलिस मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे जवानों से कही है कि वे सभी कानून के रखवाले हैं और जनता के रक्षक हैं।
इन पुलिसकर्मियों ने आज पटनायक की भी नहीं सुनी और वे ‘नारे लगा रहे थे कि दिल्ली पुलिस का अधिकारी कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो। दिल्ली पुलिस के बड़ी संख्या में जवान काली पट्टी बांधकर मुख्यालय के बाहर जुटे हैं और अपने लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह भी वर्दी के पीछे एक इंसान हैं, उनका भी परिवार है। उनकी पीड़ा कोई क्यों नहीं समझता। प्रदर्शन कर रहे पुलिस जवानों का कहना है कि उनके साथ ज्यादती हो रही है।
देश की राजधानी में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच भिड़ंत का यह पहला मामला नहीं है और इससे पहले 17 फरवरी, 1988 को पुलिस और वकीलों के बीच जोरदार झड़प हुई थी। इससे पहले भी कईं बार छिटपुट घटनाएं होती रही हैं, लेकिन 2 नवंबर को हुआ मामला बिल्कुल 1988 जैसा है।
उस समय 1988 में तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस वालों के बीच जमकर बवाल हुआ था और उस समय पुलिस उपायुक्त किरण बेदी थी और उन्होंने पुलिस वालों को वकीलों पर लाठीचार्ज का आदेश दिया था। लेकिन यह बात भी थी कि उस वक्त पुलिस की तरफ से कोई गोली नहीं चलाई गई थी। उस समय तीस हजारी कोर्ट परिसर में विवाद के बाद लाठी चार्ज कर वकीलों को पीटा गया था इसलिए आज ये पुलिस वाले किरण बेदी के नाम का नारा लगा रहे हैं।
शनिवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हुए बबाल में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था उत्तरी परिक्षेत्र) वरिष्ठ आईपीएस संजय सिंह और उत्तरी जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हरेंद्र कुमार सिंह को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इन दोनों अधिकारियों को हटाने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को दिया था और मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए हैं।
इस साल दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर दूसरी बार बड़े पैमाने पर उंगली उठी है। जून में मुखर्जी नगर में दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से एक वृद्ध सिख कैब चालक और उसके नाबालिग बेटे को जिस बेरहमी से पीटा था उस घटना की आलोचना सभी स्तरों पर की गई थी और पूरा सिख समुदाय सड़कों पर आ गया था। उस वक्त शायद पुलिसकर्मियों ने मुख्यालय के बाहर इस तरह का प्रदर्शन नहीं किया था । लेकिन दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में दो पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर अपना दामन साफ रखने की कोशिश की थी।
बहरहाल वकील भी शनिवार की घटना से काफी उग्र हैं और सुप्रीमकोर्ट के वकील भी उनके साथ एकजुटता दिखा रहे हैं। दिल्ली में वकीलों की ओर से एक दिवसीय अदालत के बहिष्कार के बीच सोमवार को उच्चतम न्यायालय के वकीलों ने भी तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसक झड़पों के विरोध में सुप्रीमकोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया और वकीलों के साथ एकजुटता दिखाई।
उच्चतम न्यायालय के वकीलों ने शनिवार की घटना में घायल वकीलों को दस-दस लाख रुपए देने तथा पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने अपनी तरफ से मामले की जांच रिपोर्ट केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी है।