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तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद की तलाश में ससुराल पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम - Sabguru News
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तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद की तलाश में ससुराल पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम

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तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद की तलाश में ससुराल पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम
Tablighi Jamaat chief Maulana Saad
Tablighi Jamaat chief Maulana Saad
Tablighi Jamaat chief Maulana Saad

सहारनपुर। दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में तब्लीगी जमात के केंद्र के प्रमुख मौलाना साद की तलाश में यहां पहुंची दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने उसके पैतृक आवास कांधला और ससुराल को खंगाला।

मौलाना साद का पैतृक निवास और ससुराल दोनो सहारनपुर मंडल में है। उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सात मुकदमे दर्ज किए है। देवबंदी विचारधारा के मौलाना साद ने सहारनपुर के मदरसा मजाहिर उलूम में शिक्षा पाई थी। बाद में वह दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में चले गये जहां उन्होंने मदरसा कशफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री हासिल की थी।

दिलचस्प है कि मौलाला साद की बेटी का पांच अप्रेल को निकाह होना तय था। उनके तीन बेटे और इकलौती बेटी है। बेटी के निकाह के निमंत्रण सहारनपुर में उनके करीबी संबंधियों और नजदीकी लोगों को मिल चुके हैं। मौलाना की सहारनपुर में ससुराल है। उनके बेटे की ससुराल भी कांधला में ही है। दिल्ली अपराध शाखा की टीम पिछले 24 घंटों से सहारनपुर में उनकी तलाश मेें डेरा डाले हुए है।

शामली पुलिस के मुताबिक मौलाना साद की कांधला में पहुंचने या छिपे होने की जानकारी सामने नहीं आई है। जानकारी के मुताबिक मौलाना ने खुद के आइसोलेशन में होने की जानकारी सार्वजनिक की है जिसमें कहा गया है कि वह स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन कर रहा है।

ध्यान रहे मौलाना साद मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करता है। संभवतः पुलिस को इस वजह से भी उनकी तलाश में दुश्वारियों का सामना करना पड रहा है।मौलाना साद फोटोग्राफी और टेलीविजन एवं फिल्मों से दूर रहता है। सहारनपुर में उनके ससुर भी मोबाइल फोन से दूरी बनाए हुए है।

तब्लीगी जमात की वर्ष 1938 में स्थापना करने वाले उनके बडे सभी देवबंदी विचारधारा से संबंध रखने वाले हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षो के दौरान मौलाना साद और दारूल उलूम देवबंद के उलमाओं के बीच मन-मुटाव और दूरिया इतनी बढी कि दारूल उलूम ने उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया था।

लेकिन मौजूदा हालात में तब्लीगी जमात की देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को व्यापक स्तर पर फैलाने में जो भूमिका सामने आई और मीडिया में जिस तरह से खबरें प्रसारित हो रही हैं। उसे लेकर देवबंदी मसलक की सबसे बडी धार्मिक और सामाजिक तंजीम जमीयत उलमाएं हिद के दोनों धडो के शीर्ष नेता मौलाना अरशद मदनी और मौलाना महमूद मदनी दोनों बुरी तरह से खफा है।

दोनों ने बयान जारी कर कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में सभी लोग समुदाय और धर्म के अनुयायी एकजुट है लेकिन तब्लीगी जमात के मरकज को जिस तरह से मीडिया उछाल रहा है वह निंदनीय है।

देबवंद के आलिम भले ही आज मौलाना साद के साथ खडे दिख रहे है लेकिन पिछले 2 वर्षों के दौरान उनके बीच बेहद तल्ख रहे रिश्तों से सभी परीचित हैं। मौलाना साद के कुछ उपदेशों को लेकर दारूल उलूम और दुनियाभर के उलेमा उनसे नाराज हो गए थे। बांग्लादेश और मलेशिया ने उन्हें अपने यहां का वीजा देने से भी वर्ष 2018 में इंकार कर दिया था। बांग्लादेश में एक बडे इंजतमा का आयोजन था।

दारूल उलूम ने मौलाना साद से ब्यान वापस लेने की अपील की थी जिससे इंकार के बाद दारूल उलूम में इनसे अपनी दूरियां बढा ली थी। दारूल उलूम द्वारा उनके खिलाफ फतवा जारी करने के बाद मौलाना साद ने देवबंद आकर दूसरे दारूल उलूम वक्फ के मोहतमिम सुफियान कासमी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था और नाराज उलेमाओं से समझौते की पेशकश की थी पर बात नहीं बनी थी। दारूल उलूम ने तो अपने छात्रों के तब्लीगी जमात में शामिल होने पर ही रोक लगा दी थी।

जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने आज देवबंद में कहा कि उनके मौलाना साद के वैचारिक मतभेद अवश्य है लेकिन जिस तरह से उन्हें लेकर सियासत हो रही है। इससे वह इत्तेफाक नहीं रखते हैं।

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