नई दिल्ली। भाप इंजन देश के सभी पहाड़ी रास्तों पर चलने के साथ ही दिल्ली रिंग रेलवे पर चलती नजर आएगी, क्योंकि रेलवे भाप इंजन की विरासत को पुर्नजीवित करने के लिए काम कर रही है।
कांगड़ा वैली रेलवे के पालनपुर-जोगिंदरनगर खंड पर भाप इंजन के सफल परिचालन के बाद सभी पांच पहाड़ी रेलवे अब पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भाप इंजन का परिचलान कर रहे हैं।
कांगड़ा वैली रेलवे यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की संभावित सूची में शामिल है। यहां करीब 20 साल पर भाप इंजन का परिचालन दोबारा शुरू किया गया, जिससे हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और नीलगिरी माउंटेन रेलवे नियमित रूप से भाप इंजन वाली ट्रेन का परिचालन करती है। वहीं कालका-शिमला रेलवे और माथेरान हिल रेलवे पर्यटकों की मांग पर भाप इंजन वाली रेलगाड़ी का परिचालन करती है।
अब राजधानी में लंबे समय से उपेक्षित, लेकिन एक समय में काफी लोकप्रिय रहे रिंग रेलवे को दोबारा पुर्नजीवन प्रदान करने की तैयारी चल रही है।
रेल विरासत से जुड़े रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह भारतीय रेलवे में भाप इंजनों का बड़ा पुनरुद्धार है। हमारा लक्ष्य सभी पहाड़ी रेल के साथ ही दिल्ली रिंग रेलवे मार्ग पर नियमित रूप से भाप इंजन चालित रेलगाड़ी का परिचालन करना है।
डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन के आ जाने से साल 1995 में रेलवे ने धीरे-धीरे भाप इंजनों को परिचालन से बाहर कर दिया था। हालांकि इससे पहले भी साल 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान दिल्ली रिंग रेलवे पर भाप इंजन वाली ट्रेन चलाने की तैयारियां की गई थीं, लेकिन विभिन्न कारणों से यह परवान नहीं चढ़ सकी।
लेकिन, अब भारतीय रेल की सक्रियता से दिल्ली रिंग रेलवे सेवा के शुरू होने की उम्मीद जगी है। यह काम उत्तर रेलवे को दिया गया है। रिंग रेलवे का मार्ग 34 किलोमीटर है, जो रिंग रोड के समानांतर है और दिल्ली के कई महत्वपूर्ण इलाकों से गुजरता है, जिसमें चाणक्यपुरी, सफदरगंज और सरोजिनीनगर शामिल हैं।
योजना के मुताबिक चार डिब्बों के साथ भाप इंजन वाली विरासत ट्रेन सफदरजंग स्टेशन से आनंद विहार तक चलेगी, जिसमें पुराना यमुना पुल, पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली और निजामुद्दीन स्टेशन होंगे। फिलहाल दुनिया भर में केवल गिने-चुने भाप इंजन ही बचे हैं, जो अभी भी चालू हालत में हैं।