नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को फरवरी 2020 के दंगों की कथित साजिश से जुड़े एक मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अभियोजन पक्ष ने अपने आरोप में रहमान को दंगे का मास्टरमाइंड करार दिया था, जो जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी), जेएमआई कोऑर्डिनेशन कमेटी के व्हाट्सएप ग्रुप सहित कई अन्य का भी सदस्य था। उल्लेखनीय है कि रहमान को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम)
अधिनियम सहित कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था। रहमान के वकील ने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी और रहमान 26 अप्रैल 2020 से हिरासत में है। उसके खिलाफ यूएपीए या किसी अन्य दंडात्मक प्रावधान के तहत कोई मामला नहीं बनता है। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि रहमान को अदालत के द्वारा सही माने जाने वाले किसी भी नियम या शर्त के तहत जमानत दी जा सकती है।
अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि संरक्षित सार्वजनिक गवाहों सहित कई गवाहों के बयान अनुसार आरोपी के खिलाफ मामला सही है और अगर उसे जमानत दे दी जाती है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने रहमान की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज की कि उसके खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही था।