लखनऊ। उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार अयोध्या में पांच एकड़ जमीन दिये जाने के फैसले को लेकर मुस्लिमों की नुमाइंदगी करने वाले संगठन आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (एलआईएमपीएलबी) और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भले ही को लेकर पशोपेश में हो लेकिन राम की नगरी में केन्द्र सरकार द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन पर मस्जिद के साथ ही इस्लामिक विश्वविद्यालय की मांग उठने लगी है।
सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अब तक के ढाई साल से अधिक के कार्यकाल के दौरान 18 बार अयोध्या का दौरा कर चुके है और उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद जल्द ही उनके एक बार फिर रामजन्मभूमि के दर्शन करने की संभावना है।
पिछले सोमवार को मुख्यमंत्री से मिलने गये उलेमाओ ने सलाह दी थी कि अयोध्या में मस्जिद के साथ साथ एक इस्लामिक विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाना चाहिये। उलेमाओ ने अयोध्या फैसले के बाद प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बरकरार रखने के लिये श्री योगी को बधाई दी।
योगी ने शांति व्यवस्था और भाईचारा बनाये रखने की अपील उलेमाओ से की। उन्होने दोहराया कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा। उन्होने कहा कि समाज में वैमस्यता फैलाने वाली किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और मुस्लिम समुदाय को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
बैठक के दौरान मौलाना सलमान हुसैन नदवी ने अयोध्या में मस्जिद के साथ साथ इस्लामिक विश्वविद्यालय के निर्माण की मांग की। इस बीच अयोध्या टाइटिल सूट के वादी इकबाल अंसारी ने मंगलवार को मांग की कि सरकार मस्जिद के लिये पांच एकड़ जमीन रामजन्मभूमि के निकट अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन में दे। यह जमीन 1991 को सरकार द्वारा अधिग्रहित की गयी थी।