नई दिल्ली। देश में सहकारी समितियों और सहकारी बैंक की दशा सुधारने और इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक की देख-रेख में लाने की गुरुवार काे राज्य सभा में मांग की गयी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कैलाश सोनी ने विशेष उल्लेख के जरिए इस मसले को उठाते हुए कहा कि वैद्यनाथन आयोग ने सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों में राजनीतिक नियुक्तियां न करने की सिफारिश की थी। कई राज्यों में इस तरह के प्रावधान किये गये और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले राज्यों की राष्ट्रीय ग्रामीण एवं विकास बैंक ने आर्थिक मदद भी की है लेकिन अब नियमों को बदलकर कुछ राज्यों खासकर मध्य प्रदेश में अनेक सहकारी संस्थाओं के प्रशासक राजनेता नियुक्त कर दिये गये हैं।
मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों को किसानाें का कर्ज माफ करने के लिए बाध्य किया जा रहा है और राज्य सरकार इस मद की राशि भी उन्हें उपलब्ध नहीं करा रही है। उन्होंने कहा कि इससे सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों की हालत खस्ता हो जायेगी और किसानों की अंश पूजी पर खतरा मंडराने लगेगा।
उन्होंने सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों में राजनीतिक नियुक्तियां न करने और इन्हें रिजर्व बैंक की सीधी निगरानी में लाने का प्रावधान करने की सरकार से मांग की।