Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
राज्यसभा में खनन और खनिज विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग - Sabguru News
होम Business राज्यसभा में खनन और खनिज विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग

राज्यसभा में खनन और खनिज विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग

0
राज्यसभा में खनन और खनिज विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग
Demand to send Mining and Minerals Bill to Select Committee in Rajya Sabha
Demand to send Mining and Minerals Bill to Select Committee in Rajya Sabha
Demand to send Mining and Minerals Bill to Select Committee in Rajya Sabha

नई दिल्ली। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने खनन और खनिज विकास एवं विनियमन संशोधन विधेयक 2021 में कमियों तथा आदिवासियों के हितों की अनदेखी का उल्लेख करते हुए विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की है।

राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को सदन में इस विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि देश के जिस भी क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन विशेष रूप से खनिज संसाधन भरपूर मात्रा में हैं वहीं पर गरीब और आदिवासियों की आबादी है। ये खनिज संसाधन अधिसूचित क्षेत्रों में हैं जहां पंचायतों से संबंधित प्रावधान लागू हैं। क्या सरकार ने इन क्षेत्रों में खनिज के उत्खनन की योजना बनाने से पहले वहां रहने वाले आदिवासियों तथा गरीबों के बारे में कुछ सोचा है। क्या उनके बारे में कोई नीति बनायी गयी है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक को बिना व्यापक विचार विमर्श के तैयार किया गया है। इसलिए इससे संबंधित तमाम पहलुओं पर चर्चा के लिए विधेयक को प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए। उन्होंने भाजपा के भूपेन्द्र यादव के इस दावे को गलत बताया कि यह विधेयक पहले प्रवर समिति में भेजा गया था और इस पर विस्तार से चर्चा की जा चुकी है। इस पर यादव ने कहा कि विधेयक 18 मार्च को प्रवर समिति में भेजा गया था।

सिंह ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने प्रतिस्पर्धी नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन उस सयम इसका विरोध किया गया। संप्रग सरकार ने यह प्रावधान किया था कि जिन लोगों की जमीन ली जा रही है उन्हें 26 प्रतिशत मुनाफा दें। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राज्यों तथा गरीबों के अधिकार छीन रही है और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रही है।

इससे पहले कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि खनन क्षेत्र में एक बड़े सुधार को ध्यान में रखकर यह विधेयक लाया गया है और उसमें आठ बड़े सुधार किये गये हैं जिससे इस क्षेत्र में पारदर्शिता आयेगी और खनन क्षेत्र में अधिक से अधिक संसाधनों का दोहन किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि देश में 95 खनिजों का खनन किया जाता है और देश में खनिजों का अपार भंडार होने के बावजूद इनका आयात किया जाता है। भारत में कोयले का चौथा सबसे बडा भंडार है।

उन्होंने कहा कि इन सुधारों का एक बड़ा फायदा यह होगा कि रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष 55 लाख अवसर पैदा होंगे तथा सकल घरेलू उत्पाद में खनन क्षेत्र का हिस्सा भी बढेगा। देश में अभी तक केवल दस प्रतिशत खनिज भंडारों का पता लगाया गया है जिनमें से केवल डेढ फीसदी का ही दोहन किया जा रहा है। ये सुधार होने के बाद खनन क्षेत्र की क्षमता बढेगी। अब यह खनन केवल सरकारी कंपनियों द्वारा किया जाता है लेकिन अब इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढायी जा रही है। इसके लिए खनिज अन्वेषण न्यास का गठन किया जायेगा जो स्वायत्त संस्थान होगा।

जोशी ने कहा कि इस विधेयक में एक और अच्छा प्रावधान किया गया है जिससे राज्यों और केन्द्र के बीच सहकारी संघवाद की भावना बढेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की इस मामले में राज्यों के अधिकार छीनने की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार अपने स्तर पर खनन का लाइसेंस दे सकेंगी।

भारतीय जनता पार्टी के अश्विनी वैष्णव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे खनन क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। खनन क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है और रोजगार प्रदान करने का बहुत बड़ा क्षेत्र है। क्षेत्र में सुधार होने से नयी परियोजनायें शुरू हो सकेंगी। इस विधेयक से खनन क्षेत्र का भविष्य उज्जवल होगा और संबंधित क्षेत्र विकास के पथ पर आगे बढ़ सकेंगे। उन्होेंने कहा कि विधेयक को संसद में लाने से पहले व्यापक स्तर पर विचार विमर्श किया गया है। उन्होेंने कहा कि विधेयक पर विचार विमर्श के दौरान 4000 सलाह और सुझाव आयें। इस विधेयक से कोयले का आयात घटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विधेयक का खनन कारोबार में सरलता आयेगी।

अन्नाद्रमुक के एम. थंबी दुरई ने कहा कि इस विधेयक से राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। खनन क्षेत्र राज्यों की अर्थव्यवस्था से जुड़े हैं। तेलंगाना राष्ट्र समिति के के. केशव राव ने कहा कि विधेयक से राज्यों के अधिकारों का कम किया जा रहा है। राज्य सरकारें भी जनता द्वारा चुनी जाती है और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। विधेयक काे प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी. साई रेड्डी ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन सतर्कता बरतने की सलाह दी।

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि 50 प्रतिशत खनन उत्पाद खुले बाजार में बेचने का क्या तुक है। विधेयक पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जाना चाहिए। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

जनता दल युनाईटेड के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि राज्यों के अधिकारों पर कोई अंतर नहीं पड़ेगा बल्कि कई मामलों में उन्हें नए अधिकार मिलेंगे। खनन क्षेत्र में तेजी से निर्णय हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि खनन उत्पादों की ढुलाई के लिए अलग सड़कें बनायी जानी चाहिए। खनन प्रक्रिया में पर्यावरण का ध्यान रखा जाना चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की झरना दास वैद्य ने कहा कि यह खनन क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास है। यी ठीक नहीं है। खनन क्षेत्र काे मुक्त करने का विचार बेहतर हो सकता है लेकिन देश की संपदा को बेचना ठीक नहीं ठहराया जा सकता। सरकार को इसमें सतर्कता बरतनी होगी। गंभीर विचार विमर्श के लिए विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि विधेयक के जरिए संघवाद को कमजोर किया जा रहा है। विधेयक के दूरगामी नकारात्मक प्रभाव होंगे। इस विधेयक का कुछ खास लोगों को लाभ होगा। विधेयक में पर्यावरण के मुद्दे को स्पष्ट किया जाना चाहिए।

तेलुगू देशम पार्टी के कनकमेदला रविंद कुमार ने कहा कि 50 उत्पादन खुले बेचने का प्रावधान उचित नहीं है। कांग्रेस के सैयद नाजिर हुसैन ने विधेयक का विरोध किया। उन्होेंने कहा कि संबंधित कानून में बार बार संशोधन किये जा रहे हैं। इस पर व्यापक रुप से चर्चा होनी चाहिए। इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए जिससे इस पर गंभीरता से मंथन हो सके। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में एक नियामक का गठन किया जाना चाहिए।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने विधेयक का विरोध किया और इसे प्रवर समिति में भेजने को कहा। भारतीय जनता पार्टी के रामविचार नेताम ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

बहुजन समाज पार्टी के अशोक सिद्धार्थ ने कहा कि खनन क्षेत्र को विकसित करने की जरुरत है। यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है लेकिन इसमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार व्याप्त है। देश में पर्याप्त कोयले का भंडार होने बावजूद इसका आयात होना भ्रष्टाचार का सबूत है। मौजूदा विधेयक से निजी कंपनियों को फायदा होगा और सार्वजनिक कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के सस्मित पात्रा ने कहा कि विधेयक लाने के लिए सरकार बधाई की पात्र है। इसी पार्टी के समीर उरांव ने कहा कि देश खनिज क्षेत्र का व्यापक विस्तार है। यह रोजगार का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि खनिज भंडार वाले क्षेत्रों में आदिवासी निवास करते हैं। खनन एवं खनिज की नीति में आदिवासियों का ध्यान नहीं रखा गया। यह विधयेक आदिवासियों को उनके अधिकार प्रदान करता है।

कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि सरकार बाजार में समान अवसर उपलब्ध कराने में विफल हो गयी है। सरकार को कानून बनाने में निष्पक्ष होना चाहिए। यह विधेयक राज्यों के अधिकारों को खत्म करता है। इससे विवाद पैदा होंगे। यह विधेयक अनिवार्य रुप से प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए।