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केशवरायपाटन शुगर मिल चालू करने के लिए किसानों का धरना-प्रदर्शन - Sabguru News
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केशवरायपाटन शुगर मिल चालू करने के लिए किसानों का धरना-प्रदर्शन

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केशवरायपाटन शुगर मिल चालू करने के लिए किसानों का धरना-प्रदर्शन
Demonstration of farmers for starting Keshoraipatan sugar mill
Demonstration of farmers for starting Keshoraipatan sugar mill
Demonstration of farmers for starting Keshoraipatan sugar mill

कोटा। राजस्थान में बूंदी जिले के केशवरायपाटन में स्थित शुगर मिल को फिर से चालू कराने की मांग को लेकर जिले के किसान संभागीय मुख्यालय कोटा में धरना-प्रदर्शन एवं अनशन कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि राज्य का कोई मंत्री, संभागीय एवं बूंदी जिला स्तर का कोई अधिकारी अब तक उनकी सुध तक लेने के लिए नहीं आया है।

किसानों की पीड़ा है कि केशवरायपाटन शुगर मिल के बंद हो जाने के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है जबकि जिस समय केशवरायपाटन शुगर में चल रही थी, तब बूंदी जिले के केशवरायपाटन, तालेड़ा, इंदरगढ़, लाखेरी, और बूंदी ही नहीं बल्कि जिले भर में किसान गन्ने का भरपूर उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा कमाते थे जिससे अब केशवरायपाटन मिल के बंद होने की वजह से वे इससे वंचित हैं।

यह शुगर मिल वर्ष 1970 में स्थापित की गई थी और लगभग 30 साल तक चलने के बाद करीब दो दशक से भी अधिक समय पहले इसे बंद कर दिया गया जिसके कारण बूंदी जिले के गन्ना उत्पादक किसान गंभीर आर्थिक संकट में आ गए और धीरे-धीरे गन्ने की खेती कम होती चली गई।

हाडोती किसान यूनियन के महासचिव दशरथ कुमार शर्मा ने बताया कि बंद पड़ी शुगर मिल को चलाना राज्य सरकार के लिए घाटे का सौदा नहीं है। इस मिल के बंद होने के बाद एक एग्रोनॉमी विशेषज्ञ से सर्वे कराया गया था जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख भी किया है कि उत्तर प्रदेश की सरदार नगर (गोरखपुर) जिला, खलीलाबाद (बस्ती जिला) और मध्य प्रदेश की डबरा की ग्वालियर शुगर मिल को कई वर्षों तक बंद रहने के बाद फिर से चलाया गया और उनका संचालन लाभकारी भी रहा है।

राज्य सरकार को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केशवरायपाटन शुगर मिल दो दशक से बंद है इसलिए मिल क्षेत्र में गन्ना उत्पादन नए सिरे से किया जाएगा और जब चालू किया जाएगा तो पहले दो वर्षों में मिल की आवश्यकताओं के मद्देनजर पहले दो वर्षों में अच्छी किस्म का गन्ना विकसित करना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वर्ष 2020- 21 में अच्छी किस्म का 16 हजार क्विंटल गन्ना बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा तो इस पर अनुमानित डेढ़ करोड रुपए का खर्चा आएगा क्योंकि गन्ने की खेती में दो साल लगते हैं। इसलिए बाद के वर्ष में किसान को 16 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध कराना होगा जिसकी लागत 2.25 करोड़ रूपए आएगी लेकिन इसके बाद दूसरे वर्ष मिल को किराए के लिए 16 लाख क्विंटल गन्ना उपलब्ध होगा जिससे मिल को पूरी क्षमता से चलाया जा सकता है।

एक मोटे अनुमान के अनुसार वर्ष 2022-23 में तकरीबन 16 लाख क्विंटल गन्ना उपलब्ध होगा जिसमें 12 से 14 लाख क्विंटल गन्ना पेराई के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा और उसके 2 से 4 क्विंटल गन्ना बीज के रूप में बुवाई में काम में आ सकेगा।