सबगुरु न्यूज। बॉलीवुड के युवा और लोकप्रिय कलाकार सुशांत सिंह राजपूत को हमने खो दिया है। उन्होंने दुनिया से ऐसे समय विदा ली जब वह अपने करियर के पीक पर थे और युवाओं में जबरदस्त दीवानगी भी थी। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद बॉलीवुड समेत पूरे देश को हिला कर रख दिया है। अभी तक जो खबरें आई हैं उसमें सुशांत सिंह का मौत का कारण सुसाइड माना जा रहा है। यही नहीं सुसाइड यानी आत्महत्या की वजह ‘डिप्रेशन’का होना भी है । सुशांत सिंह मौजूदा समय में सफल अभिनेताओं की लिस्ट में शुमार हो चुके थे।
अभी कुछ समय पहले ही उन्होंने मुंबई के बांद्रा में भव्य आलीशान मकान भी खरीदा था। ऐसे में उनका डिप्रेशन का होना बड़ा सवाल खड़ा करता है। बॉलीवुड यानी मायानगरी में जितनी चमक-दमक है उससे अधिक डिप्रेशन का रोग भी कम घातक नहीं रहा है। फिल्मी कलाकारों में डिप्रेशन, मानसिक तनाव, अवसाद, फोबिया आदि का होना एक आम बीमारी भी रही है, जरूरी नहीं है कि एक असफल कलाकार ही डिप्रेशन का शिकार होता आया है अब तक कई कलाकार ऐसे भी रहे हैं जो अपने समय में सबसे शोहरत और बुलंदियों पर थे उसके बावजूद डिप्रेशन में आ गए।
यह ऐसा रोग है जो कि आम दर्शकों या प्रशंसकों को दिखाई नहीं पड़ता है, उसे तो सिर्फ अभिनेताओं-अभिनेत्रियों की चमक दमक ही दिखाई पड़ती है। लेकिन अंदर से यह फिल्मी सितारे कितने टूटे रहते हैं उसको आम प्रशंसकों को भांप पाना मुश्किल भी हो जाता है। अभी तक कई कलाकारों के डिप्रेशन को लेकर घटनाएं चौंकाने वाली भी रही हैं। बॉलीवुड और हॉलीवुड कलाकारों का मनोचिकित्सकों के पास जाना एक आम बात भी रही है। आइए जानते हैं हमारे फिल्म इंडस्ट्रीज में कौन से कलाकार ऐसे थे जो जबरदस्त डिप्रेशन के शिकार हुए।
राजकपूर, गुरुदत्त, राजेश खन्ना, दिव्या भारती आदि सितारे जो डिप्रेशन के शिकार हुए
हम बात करते हैं पृथ्वी राजकपूर के बड़े पुत्र राजकपूर की। राजकपूर अभिनेता के साथ निर्माता-निर्देशक भी रहे हैं । 50 के दशक पर राजकपूर और नरगिस की जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। आग, आवारा, श्री 420, चोरी-चोरी, बरसात, आह अनाड़ी, संगम और जिस देश में गंगा बहती है आज समेत कई फिल्में सुपरहिट रही हैं । उसके बाद वर्ष 1970 में राजकपूर ने मेरा नाम जोकर बनाई थी। इस फिल्म में राजकपूर ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी थी लेकिन यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी। उसके बाद राजकपूर का बंगला तक बिक गया था, जिससे वह जबरदस्त डिप्रेशन के शिकार हुए थे।
उसके बाद राजकपूर ने जो जमा पूंजी बची थी और कुछ लोगों से उधार लेकर वर्ष 1973 में अपने बेटे ऋषि कपूर को लेकर फिल्म ‘बॉबी’ बनाई थी, यह फिल्म जबरदस्त सुपरहिट रही उसके बाद वह आर्थिक स्थित से उभर सके थे। लेकिन इस बीच लगभग 3 वर्ष राज कपूर डिप्रेशन में गुजारे थे। ऐसी हाल गुरुदत्त का रहा। गुरुदत्त को अब तक भारतीय सिनेमा का सबसे श्रेष्ठ कलाकार माना जाता है। 60 के दशक में गुरुदत्त भी अपने फिल्मी करियर के पीक पर थे। लेकिन उनकी जिंदगी का एक पहलू यह भी था कि वह डिप्रेशन में आ गए थे और आखिर में उन्होंने सुसाइड कर ली थी। वर्ष 1970 के दशक में राजेश खन्ना की लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी अदाकारी का हर वर्ग दीवाना हुआ करता था।
लेकिन धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्रीज में अमिताभ के बढ़ते कद ने उनको डिप्रेशन में ला दिया था। आखिरी समय तक राजेश खन्ना तनाव से उभर नहीं सके थे। ऐसे ही 90 के दशक में अचानक सुर्खियों में आई अभिनेत्री दिव्या भारती ने 3 साल के अंदर एक के बाद एक कई सुपरहिट फिल्में दी। उसके बाद वर्ष 1993 में तेजी से उभरती अभिनेत्री दिव्या भारती ने सुसाइड कर लिया था, उनका भी डिप्रेशन में होना कारण बताया गया था। अभी कुछ समय पहले ही फिल्मी और टीवी कलाकार कुशल पंजाबी ने भी खुदकुशी कर ली थी। मायानगरी के कई कलाकार रहे हैं जिनको डिप्रेशन का शिकार होना पड़ा है।
ढलती उम्र, फिल्में फ्लॉप और चमक-दमक फीकी पड़ जाना रहे हैं डिप्रेशन के कारण
बॉलीवुड में ढलती उम्र, फिल्में फ्लॉप होना और अभिनेता-अभिनेत्रियों की चमक धीरे-धीरे फीके पड़ जाना डिप्रेशन के कारण माने जाते हैं। यही नहीं फिल्म इंडस्ट्रीज में काम मिलना बंद हो जाना, धीरे-धीरे प्रशंसकों की संख्या घटते चले जाना कलाकारों के लिए सबसे बड़ा तनाव हो जाता है। जिस दिन फिल्में रिलीज होती है उससे पहले की रात फिल्मी सितारों के लिए बहुत ही तनाव भरी रही है । इसका सबसे बड़ा कारण है रहा है कि फिल्में अगर सुपरहिट हो गई या हिट हो गई तो ठीक है। अगर फ्लॉप हुई तो उनका फिल्मी खरियर भी बहुत तेजी से नीचे आ जाता है। यहां हम आपको बता दें कि फिल्मी अभिनेत्रियों में सबसे बड़ा डिप्रेशन का कारण उनके ढलती उम्र रहा है, आज कई ऐसी बॉलीवुड अभिनेत्री हैं जो कि ढलती उम्र के कारण घरों से बाहर भी नहीं निकलती हैं। बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों में यह बात बैठ जाती है कि दर्शक या प्रशंसक उसे उसी रूप में देखे, जैसे उसने उसे फिल्मी पर्दे पर देखा है।
बॉलीवुड के कलाकार डिप्रेशन से इसलिए नहीं उभर पाते हैं
बॉलीवुड के कामयाब अदाकार सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद डिप्रेशन पर चर्चा चल पड़ी है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर डिप्रेशन ने उनकी जान कैसे ले ली? क्या इसका दबाव इतना जबरदस्त था कि खुद को कंट्रोल नहीं कर पाना असंभव हो गया? जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं जिनका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके चलते हमारे अंदर नकारात्मकता का रुझान पनपने लगता है। आदमी चारों तरफ लोगों से घिरा होने के बावजूद खुद को अकेला, निराश महसूस पाता है। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करनेवाले कारणों में कुछ तो हमारे घरेलू होते हैं और कुछ कामकाज से संबंधित भी होते हैं।
इसके चलते कामयाब और दौलतमंद शख्स भी अपने अंदर उथल पुथल के दौर से गुजर रहा होता है। यही उथल-पुथल, तन्हाई और उदासी डिप्रेशन यानी अवसाद का रूप ले लेती है। अगर वक्त रहते इसका हल नहीं निकाला गया तो आदमी को डिप्रेशन मौत के दहाने तक ले जाता है। कुछ हद तक शरीर में होने वाला हार्मोन का बदलाव भी अहम कारण माना जाता है। ऐसा भी समय आता है जब कलाकारों में अकेलापन, उदासी, नकारात्मक विचार अधिक गुस्सा और कुंठा से भरा जीवन जीना भी धीरे डिप्रेशन बढ़ाता चला जाता है। कलाकारों में डिप्रेशन हटाने को लेकर मायानगरी को एक नई पहल करनी होगी। कहीं ऐसा न हो डिप्रेशन एक और कलाकार को हमसे छीन ले।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार